सारण एमएलसी चुनाव: हार का जिम्मेवार कौन? पार्टी या प्रत्याशी

सारण एमएलसी चुनाव: हार का जिम्मेवार कौन? पार्टी या प्रत्याशी

Chhapra: सारण स्थानीय निकाय प्राधिकार निर्वाचन क्षेत्र के परिणाम सामने आ चुके है. मतगणना के बाद प्रथम वरीयता के मत से बतौर निर्दलीय प्रत्याशी सच्चिदानंद राय ने जीत दर्ज की है. वही दूसरे नंबर पर राजद के सुधांशु रंजन और तीसरे नंबर पर एनडीए के भाजपा प्रत्याशी धर्मेन्द्र सिंह रहे.

सूबे में 24 सीटों पर हुए एमएलसी चुनाव में एनडीए को बढ़त रही. इसी बीच सारण सीट से भाजपा की हार कार्यक्रताओं और समर्थकों को निराश कर गयी. सारण में यह हार पार्टी की हुई या प्रत्याशी की इसे लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है.

आखिर पार्टी का प्रत्याशी क्यों हारा?, चूक कहा हुई? इसको लेकर आंतरिक कलह की बात भी सामने आ रही है. वही प्रत्याशी की ओर से कोई प्रयास ना करने की बातें भी चर्चा में हैं.  सूत्रों की माने तो जिले में भाजपा में कई खेमा चल रहा है. शीर्ष नेतृत्व से इतर कई गुट में बंटे नेता अपने तरीके से काम करते दिखे. वही गठबंधन में शामिल जेडीयू सहयोगात्मक रूप में रहा.

भाजपा के कई दिग्गज नेता और कार्यकर्ता इस चुनाव में साइलेंट मोड़ में दिखे. वही पार्टी में रहने और दायित्व के निर्वहन को लेकर भले ही क्षेत्र में दिख रहे थे लेकिन समर्थन कही और रहा.

पिछले चुनाव में भाजपा के टिकट से एमएलसी रहे सच्चिदानंद राय का टिकट अंतिम दौर कटने का कारण भी जिले के कई भाजपा नेता जो पार्टी में अपनी साख रखते है वही थे, ऐसी बाते कही जा रही है और इस हार के लिए कार्यकर्ता उन्हें ही दोषी मान रहे है.

कार्यकर्ताओं का कहना है कि पार्टी शीर्ष नेतृत्व में बैठें जिले के नेता की बजाय जमीनी और क्षेत्र में काम करने वाले नेताओं से रायसुमारी कर प्रत्याशी का चयन करती तो सारण में विधानसभा चुनाव में अच्छे परिणाम आते लेकिन कुछेक नेताओं की पैठ से पार्टी और कार्यकर्ता उपेक्षित हो रहे है जिसका कारण पार्टी क्षेत्र में हार रही है.

बहरहाल एमएलसी चुनाव की घोषणा के बाद अंतिम दौर में इस सीट से प्रत्याशी को बदलने का खामियाजा भाजपा भुगत चुकी है. सारण से चुनाव पूर्व अंतिम दौर में प्रत्याशी का बदलाव गलत साबित हुआ है.

हालांकि यह संकेत भी मिल रहे है कि विजयी एमएलसी सच्चिदानंद राय भाजपा में ही शामिल होंगे, क्योकि वह इसके पूर्व भाजपा के एमएलसी रहे है. लेकिन अभी तक उन्होंने ऐसा कुछ बयान नही दिया है. 

अपने बयान में उन्होंने 2024 तक इन्तजार करने को कहा है. उन्होंने कहा है कि वे राजनीति में नरेन्द्र मोदी से प्रेरित होकर आये हैं और उन्ही के विचारधारा पर चल रहें हैं. मुझे नहीं पता कि भाजपा के राज्य और स्थानीय नेता मोदी जी के विचारों पर केवल बयान देते हैं या फिर अमल भी करते हैं. उनके इस बयान के बाद से यह साफ़ दिखने लगा है कि वे स्थानीय नेतृत्व से नाराज हैं पर शीर्ष नेतृत्व से कोई परशानी नहीं है.     

राजनितिक जानकारों की माने तो बतौर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज करने के बाद उनका कद बढ़ने वाला है. साथ ही साथ भविष्य को लेकर भी कुछ शर्तें रखी जानी है. 

 

0Shares
A valid URL was not provided.

छपरा टुडे डॉट कॉम की खबरों को Facebook पर पढ़ने कर लिए @ChhapraToday पर Like करे. हमें ट्विटर पर @ChhapraToday पर Follow करें. Video न्यूज़ के लिए हमारे YouTube चैनल को @ChhapraToday पर Subscribe करें