घर बने स्विमिंग पूल, सड़कें बनी नदी, हाल छपरा शहर की कॉलोनियों का, यहां रहना ही एक जंग

घर बने स्विमिंग पूल, सड़कें बनी नदी, हाल छपरा शहर की कॉलोनियों का, यहां रहना ही एक जंग

Chhapra: शहर से सटे प्रभुनाथ नगर, शक्ति नगर, उमा नगर जैसे आधा दर्जन से अधिक मुहल्ले फ़िलहाल जल जमाव से ग्रस्त है. विगत दिनों से हुई बारिश से इन क्षेत्रों का हाल और भी बद से बद्दतर हो चुका है. लोगों के घरों में सड़कों का पानी पहुंच चुका है और जलीय जीव घर के अंदर आ गए है.

प्रभुनाथ नगर के कुछ क्षेत्र, कामता सखी मठ, शक्ति नगर और उमा नगर की स्थिति पहले से ही दयनीय है. यहां रहने वाले लोग करीब एक वर्ष से अधिक समय से इसी जलजमाव से आते और जाते है. लेकिन इधर हो रही बारिश से सड़कों पर बहने वाला पानी अब उनके घरों तक पहुंच चुका है. प्रभुनाथ नगर और शक्ति नगर के कई घरों में बिना स्विमिंग पूल के ही स्विमिंग पूल बना हुआ है. हालात यह है कि घरों के अंदर अब जलीय जीव पहुंच रहे है. वही वर्षो से जल जमाव के कारण जलकुंभी भी घरों के अंदर पहुंच चुकी है.

प्रभुनाथ नगर छपरा शहर की एक बेहतर कॉलोनी मानी जाती है. कारण है चौड़ी चौड़ी सड़कें और सुंदर घर लेकिन जल निकासी की समस्या ने इसको बदसूरत बना दिया है. यहां रहने वाले लोग विगत कई वर्षों से जलजमाव का दंश झेल रहे है. सांसद से लेकर विधायक तक से गुहार लगाने के बाद कई बार जनप्रतिनिधियों ने इस क्षेत्र का दौरा किया. सांसद की पहल पर जलनिकासी के मास्टर प्लान बने, प्रोजेक्ट के तहत जल निकासी का प्रयास भी हुआ लेकिन इसका लाभ स्थानीय लोगों को नही मिल रहा है.

विगत दो दिनों से हुई बारिश के बाद लोगों के घरों में सड़कों का पानी पहुंचा है. स्थानीय लोग घरों से बाहर कैसे निकले यह सोचने को विवश है. सड़कें नदी में तब्दील है. पैदल चलना तो दूर चारपहिया वाहन से जाना भी जान को जोखिम में डालना है. सड़क कहा है यह दिख नही रहा. अलबत्ता दूध और सब्जी वाले इस रास्ते को छोड़ चुके है. राशन का सामान भी जो घरों में है वही चल रहा है. अगर ऐसी ही स्थिति रही तो जलनिकासी की व्यवस्था नही हुई तो लोगों को घर मे खाना भी नसीब नही होने वाला है.

जलजमाव का क्या है मुख्य कारण
शक्ति नगर, उमा नगर ये सभी कॉलोनी शहर से सटे होने के कारण तेजी से इसका विकास हुआ. लेकिन इसके जल निकासी लिए कोई प्लान नही था. शहर से निकलने वाला पानी खनुआ के रास्ते रेलवे की छोटी बड़ी नालियों से होते हुए इन्ही क्षेत्रों से होकर गुजरता था. नहर, पाइन अन्य जलनिकासी के रास्तों के अतिक्रमण होता गया और उन जमीनों पर घर बनते गए. जो खाली खेत थे जहां यह पानी खेती के कामो में आता था. वहीं अब घर है. ऐसे में शहर से आने वाला पानी, इन क्षेत्रों के घरों से निकलने वाला पानी कहा जाए इसकी कोई ना व्यवस्था है ना प्लान.

पानी अपना रास्ता खुद बनाती है और रास्ता नही मिलने पर सड़कों पर रुक जाती है. साढ़ा पंचायत के तहत आने के कारण इस क्षेत्र में नगर निगम कुछ नही कर सकता. जिला प्रशासन के लोग भी कम ही ध्यान देते है. बाकि रहें जनप्रतिनिधि तो समय समय पर काम चलते रहता है. बिना किसी ठोस निवारण और बिना बेहतर प्रोजेक्ट इस क्षेत्र से जलनिकासी एक बड़ी समस्या है.

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