Chhapra(सुरभित दत्त): जयप्रकाश विश्वविद्यालय अपनी शैक्षणिक गतिविधियों के लिए कम और अन्य गतिविधियों के लिए ज्यादा चर्चा में रहता है. कक्षाएं नही चलती, छात्रों की परीक्षाएं लंबित है. इसी बीच चुनाव हुए कई छात्र 75 प्रतिशत उपस्थिति नही होने के कारण चुनाव से वंचित हो गए.
इन सब के बीच एक और मसला है जिसे लेकर इन दिनों छात्रों ने अभियान छेड़ रखा है. यह है महाविद्यालयों में शिक्षकों की लेटलतीफी. कई छात्रों ने महाविद्यालयों के शिक्षकों के समय से नही आने की खुद ही पड़ताल कर दी है. हद तो तब हो जाती है जब शिक्षकों के साथ साथ महाविद्यालयों के प्राचार्य भी समय से नही पहुंच रहे है.
इस विषय पर कई जानकारों का मानना है कि शैक्षणिक सुधार के लिए जरूरी है कि प्राचार्य और शिक्षक समय से महाविद्यालयों में आये और शैक्षणिक माहौल का निर्माण करें तभी जाकर छात्रों की समस्याओं को कम किया जा सकता है. पठन पाठन सुचारू हो सकता है और परीक्षाएं भी समय से हो सकेंगी. इसके साथ ही विश्वविद्यालय से लेकर महाविद्यालयों तक बेहतर शैक्षणिक माहौल का निर्माण किया जा सकता है.
सूत्र बताते है कि जयप्रकाश विश्वविद्यालय के विभिन्न महाविद्यालयों के कई प्राचार्य और शिक्षक पटना से आते जाते है. वही कई ऐसे भी शिक्षक है जो पटना में निजी कोचिंग संस्थानों में भी अपनी सेवाएं देते है. इस कारण वे सभी कक्षाओं में देरी से पहुंचते है और कक्षाएं देरी से शुरू होती है. जिसका खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ता है.
इस विषय पर इस समय जहां छात्र और छात्र संगठन गम्भीर दिख रहे है वही विश्वविद्यालय प्रशासन सब कुछ जानते हुए भी मौन है. छात्र संगठन की नींद भी तब टूटी है जब चुनाव के दौरान 75 प्रतिशत उपस्थिति की अनिवार्यता चुनाव लड़ने में बाधक बनी. अब चुनाव समाप्त हो गए है और इन दिनों छात्र संगठनों के कई सदस्यों ने कक्षाओं के संचालन के प्रयास अपने स्तर से शुरू कर दिए है.
शोध विद्यार्थी संगठन के रामजयपाल महाविद्यालय के कॉउन्सिल मेंबर अर्पित राज गोलू ने बताया कि सोमवार को होली की छुट्टी के बाद महाविद्यालय खुला. छात्र भी समय से पहुंचे लेकिन दोपहर 1 बजे तक प्राचार्य का कोई आता पता नही था. इससे महाविद्यालय के शैक्षणिक व्यवस्था पर असर पड़ने की पूरी संभावना बनी है.
वही छात्र अभिषेक शर्मा ने कुछ दिन पूर्व जयप्रकाश विश्वविद्यालय के प्रीमियर कॉलेज में शुमार राजेन्द्र कॉलेज में अभियान चलाकर विभागों में घूम घूम कर शिक्षकों की पड़ताल की. इस दौरान उन्हें कई विभागों में शिक्षक तो मिले तो कई विभाग बंद मिले. उन्होंने इस पूरी प्रक्रिया को सोशल मीडिया साइट फेसबुक के लाइव के माध्यम से दिखाया. सच सामने आते देख कुछ शिक्षकों ने अलग अलग कारण बताए.
विश्वविद्यालय के कुलपति हरिकेश सिंह लगातार शैक्षणिक व्यवस्था के सुधार की बातें करते है. हालांकि इसको सुधारने में वह कितने कामयाब होंगे आने वाला समय बतायेगा.
बहरहाल जयप्रकाश विश्वविद्यालय में छात्रों की समस्याओं को कम करने में कोई भी सार्थक पहल होती नजर नही आ रही. हालांकि अब छात्रों ने खुद ही इसे दुरुस्त करने का बीड़ा उठाया है इससे प्रतीत होता है कि जल्द ही समस्याओं का निपटारा हो सकेगा.
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