- सरकारीकरण और नियमित शिक्षको की तरह ईपीएफ, ईएल, मातृत्व अवकाश सुविधा की मांग
- झूठे मुकदमे वापस लेने और दमनकारी नीति का खात्मा करने की उठी आवाज
- 20 प्रखंड के हजारों शिक्षको ने वेतनमान की मांग को लेकर किया आवाज बुलंद
- मुख्यमंत्री को जिलाधिकारी के द्वारा सौपा गया सात सूत्री मांगों का ज्ञापन
- संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर जिला मुख्यालय पर दिया गया धरना
Chhapra: समान काम समान वेतन की मांग को लेकर शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति के राज्यव्यापी आह्वान पर शनिवार को जिला मुख्यालय के नगरपालिका चौक पर धरना का आयोजन किया गया. एक दिवसीय आयोजित इस धरने में जिले के 20 प्रखंड से आये हजारों शिक्षक और शिक्षिकाओं ने अपने हक के लिए आवाज को बुलंद किया. साथ ही एक स्वर में वेतनमान देने की मांग की.
सरकार और शिक्षको के बीच आरपार की लड़ाई
धरने को सम्बोधित करते हुए परिवर्तनकारी शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष समरेंद्र बहादुर सिंह ने कहा कि राज्य के शिक्षक अब एकजूट है इस बार सरकार और शिक्षको की लड़ाई आरपार की है. शिक्षको की चट्टानी एकता से सरकार की नींद उड़ चुकी है. नियोजित शिक्षकों का बस एक ही मांग वेतनमान है, जो मुख्यमंत्री जी को देना होगा.
सरकार के इशारे पर ही शिक्षको पर बरसाई गयी लाठियां
श्री सिंह ने कहा कि राज्य सरकार ने हमेशा से ही शिक्षको को ठगने का काम किया है, जिसका परिणाम है कि आज शिक्षक अपने हक के लिए सड़क पर है. यह इस राज्य का दुर्भाग्य है कि राष्ट्र निर्माता कहा जाने वाली शिक्षक पुलिस की लाठियां खा रहा है और सरकार मूकदर्शक बनी हुई है. शिक्षक इस बात को समझ चुके है कि यह लाठी सरकार के इशारे पर ही शिक्षको पर बरसाई गयी. सरकार ने एक सोची समझी राजनीति के तहत शिक्षको को गिरफ्तार किया, उनके ऊपर जबरन मुकदमा दायर किया गया, जेल भेजा गया और वह सभी प्रयास किये गए जिससे कि शिक्षको को बेल ना मिले. लेकिन न्यायालय में सच सच होता है झूठ झूठ होता है.
शिक्षको के सम्मान और वेतनमान के लिए हजार बार जेल जाने को तैयार
श्री सिंह ने कहा कि सरकार चाहें मुझे बेउर जेल में डाले चाहे तिहार जेल में शिक्षको के मान सम्मान और हक के लिए वह हजारों बार जेल जाने को तैयार है.सरकार को शिक्षको के प्रति दमनकारी नीति के खिलाफ उनका आंदोलन चलता रहेगा. उन्होंने कहा कि सरकार के पास समय है समय रहते वह शिक्षको को वेतनमान दे और सरकारी कर्मचारी का दर्जा देकर उन्हें सभी सुविधाएं देने को घोषणा करें. अन्यथा 5 सितंबर को शिक्षक दिवस पर गांधी मैदान को भीड़ को देखकर अपना भविष्य देख लेंगे.
झूठे मुकदमे को वापस ले सरकार
वही धरने को संबोधित करते हुए विनोद राय ने कहा कि जिस सरकार में शिक्षको को अपना हक मांगने के लिये सड़क पर प्रदर्शन करना पड़े, लाठियां खानी पड़ी, घायल होना पड़े उस राज्य का शैक्षणिक उत्थान भगवान के भरोसे ही है. महिला शिक्षको पर जिस प्रकार लाठियां बरसाई गयी वह सिर्फ महिला शिक्षिकाओं का अपमान नही बल्कि सरकार की महिलाओं पर किये जा रहे अत्याचार को दिखाता है.सरकार अपनी दमनकारी नीति समाप्त करे. निर्दोष शिक्षको पर लगाये गए झूठे मुकदमे को वापस ले.
विधानसभा चुनाव में भुगतना होगा हर्जाना
वही सचिव संजय राय ने कहा कि शिक्षक को गुरु का दर्जा दिया गया है लेकिन वह गुरु सड़क पर उतरकर धरना प्रदर्शन करने को मजबूर है और यह सरकार की बनाई नीति के कारण हो रहा है. सुप्रीम कोर्ट में शिक्षको को सरकार द्वारा खड़ा करना इनकी सोच को प्रदर्शित करता है. उन्होंने कहा कि वह दिन दूर नही जब जनता अपने कटघरे में सरकार को खड़ा कर पूछेगी. शिक्षको पर किये गए अत्याचार का बदला सरकार को हर हाल में चुकाना होगा.बिहार के साढ़े चार लाख नियोजित शिक्षक आगामी विधानसभा चुनाव में अपनी एकजुटता दिखाएंगे.
राज्य में हर स्तर पर नियोजित शिक्षकों का होता है शोषण
महासचिव अभय सिंह ने कहा कि पूरे देश मे बिहार एक ऐसा राज्य है जहाँ के शिक्षको का हर स्तर पर शोषण किया जाता है. राज्य के किसी भी आम जनता की दुर्घटनाओं में मृत्युपरांत सरकार 4 लाख की सहायता राशि देती है. राज्य के नियोजित शिक्षक भी उस आम जनता की तरह है जिन्हें सरकार 4 लाख रुपये देती है. पूरे देश और राज्य के अन्य महिला कर्मियों को 180 दिन का मातृत्व अवकाश देय है लेकिन राज्य के नियोजित महिला शिक्षिकाओं को 135 दिन का अवकाश लाभ दिया जाता है.
उन्होंने कहा कि राज्य के अनुबंध एवं सरकारी कर्मियों को ईपीएफ का लाभ दिया जाता है, ईएल की सुविधा दी जाती है लेकिन नियोजित शिक्षक की नीति इन सब अधिकरो से वंचित हैं. सरकार द्वारा सभी विभागों में कार्यरत नियमित और अनुबंध कर्मियों का नीति निर्धारण युद्ब स्तर पर किया जाता है लेकिन 3 साल पहले बनी कमिटी ने नियोजित शिक्षक नियमावली का प्रारूप भी तैयार नही किया.
श्री सिंह ने कहा कि सरकार की नियोजित शिक्षकों के प्रति यह विसंगतियां ने नाम सिर्फ राज्य में शिक्षक के पद बल्कि उसकी गरिमा को भी गिराने का कार्य किया है. सरकार जल्द से जल्द नियमावली का प्रकाशन करें. जिनमे सरकारी शिक्षको की भांति नियोजित शिक्षकों को सभी सुविधाएं और लाभ दे.
मुख्यमंत्री को जिलाधिकारी के द्वारा सौपा गया सात सूत्री मांगों का ज्ञापन
धरने के उपरांत जिलाध्यक्ष समरेंद्र बहादुर सिंह के नेतृत्व में शिक्षको के एक प्रतिनिधिमंडल ने जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन से मिलकर अपनी सात सूत्री मांगों का ज्ञापन सौंपा गया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जिलाधिकारी के द्वारा नियोजित शिक्षकों के सात सूत्री मांगों का ज्ञापन भेजा गया.
शिक्षको की सात सूत्री मांग
1) नियोजित शिक्षकों को समान काम के बदले समान वेतन दी जाय
2) नियोजित शिक्षकों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए, साथ ही सरकारी कर्मचारी की भांति नियोजित शिक्षकों का सेवा शर्त निर्धारण कर सभी सुविधाओं का लाभ दिया जाए
3) नियोजित शिक्षकों को पुरानी पेंशन योजना से लाभान्वित किया जाए
4) 18 जुलाई को धरने के दौरान गिरफ्तार शिक्षको पर दर्ज मुकदमा समाप्त किया जाए
5) नियोजित शिक्षकों के मरणोपरांत सरकारी कर्मियों की भांति पूर्ण सेवा लाभ तथा अप्रशिक्षित आश्रित को अनुकंपा के आधार पर नौकरी प्रदान की जाए
6) नियोजित शिक्षकों को EPF/ EL/ ऐच्छिक स्थानांतरण सहित महिला शिक्षिकाओं को 180 दिन मातृत्व अवकाश का लाभ दिया जाए
7) शिक्षको को गैर शैक्षणिक कार्य से मुक्त किया जाए
इसके अलावे धरने को हवलदार मांझी, संतोष कुमार, सुमन प्रसाद कुशवाहा, सूर्यकांत सिंह, अशोक यादव, गिरधारी रस्तोगी, संजय राय, राजू सिंह, सुनील सिंह, निजाम अहमद, रमेश सिंह, राहुल सिंह ने संबोधित किया.
धरना में मुख्य रूप से स्वामीनाथ राय, अनिल दास, संजय राय, बबलू सिंह, लडण खान, ललन राय, अशोक यादव,उपेंद्र साह, कवीश्वर राम, श्रीकांत,अजय राम, जितेंद्र राम, अहसान अंसारी, शोभा देवी, सुलेखा कुमारी, रंजू कुमारी, अफसाना प्रवीण, रेहाना खातून, नीलम देवी सहित हजारों शिक्षक शिक्षिकाएं मौजूद थी.