शिवलिंग के प्रतीकों के वैज्ञानिक पक्ष की जरूरत : अग्निहोत्री

शिवलिंग के प्रतीकों के वैज्ञानिक पक्ष की जरूरत : अग्निहोत्री

Chhapra: अंतरराष्ट्रीय संस्था थियोसॉफिकल सोसाइटी के मुख्य हाल में तीन दिवसीय अध्यात्मिक अध्ययन शिविर का आयोजन शनिवार को किया गया. शिविर का उद्घाटन संस्था के सचिव सुरेश प्रसाद श्रीवास्तव ने दीप प्रज्वलित करके किया.

अध्यात्मिक अध्ययन शिविर के मुख्य वक्ता सह थियोसोफिकल के राष्ट्रीय व्याख्याता शिखर अग्निहोत्री ने कहा कि विचारों को व्यक्त करने के लिए प्रतीकों का प्रयोग सभी धर्मों द्वारा किया जाता है, लेकिन समय के साथ ही प्रतीकों के पीछे के विज्ञान विलुप्त होता जा रहा है. वर्तमान दौड़ में शिवलिंग के प्रतीकों के वैज्ञानिक पक्ष को समझने की जरूरत है.
श्री अग्निहोत्री सिंमबोलौजी ऑफ शिवलिंग विषय पर व्याख्यान दे रहे थे. उन्होंने कहा कि शिवलिंग कल्याण के प्रतीक है जहां से जगत का उद्गम होता है. वहां परम तत्व शिव शक्ति तत्व में विभाजित होता है शिवलिंग प्राकृतिक प्रतीक है और इसलिए इस पर ध्यान करने से साधक जगत के उत्तम का समस्त ज्ञान प्राप्त कर सकता है.

थियोसोफिकल के तीन दिवसीय अध्ययन शिविर के प्रथम दिन कर्म नियम पर व्याख्यान देते हुए श्री अग्निहोत्री ने कहा कि समस्त जगत नियमों पर आधारित होता है कर्म नियम का कारण प्रभाव का नियम शाश्वत है, नियम ही ईश्वर हैं और ईश्वर ही नियम है.

नियम को बंद करके मनोवांछित फल पाने संयम से संभव है. अध्ययन शिविर में दुर्गा सप्तशती पर व्याख्यान देते हुए बंधु अग्निहोत्री ने कहा कि शिव एवं प्रकृति से पूरी दुनिया चल रही है. दुर्गा नारी शक्ति एवं सामूहिक जीवन जीने की प्रतीक के रूप में दुनिया में स्थापित हैं. अध्यात्मिक अध्ययन शिविर में विषय प्रवेश करते हुए थियोसोफिकल के सह सचिव सह पूर्व सैन्य अधिकारी अमृत प्रियदर्शी ने कहा कि अध्ययन शिविर से अध्यात्म एवं वैज्ञानिक पक्षों को सरल भाषा में समझा जा सकता है.

अध्ययन शिविर की अध्यक्षता जगदम कॉलेज के पूर्व प्राचार्य प्रो कृष्ण कुमार द्विवेदी ने किया.

इस मौक पर राजकिशोर प्रसाद, प्रो.मृदुल शर्मा, मनोरंजन कुमार सिंहा, मुरारी शरण वर्मा, प्रो. पशुपतिनाथ, प्रो.रामबाबू अनिल कुमार श्रीवास्तव, मोहन पांडे, राजीव कुमार तिवारी, मंजू कुमारी वर्मा, आर्यन उत्कर्ष समेत कई गणमान्य लोग मौजूद थे.

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