Chhapra: पाटलिपुत्र इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल साइंस रिसर्च द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 155वी जयंती के अवसर पर लक्ष्मी नारायण यादव अध्ययन केंद्र राम जयपाल कॉलेज परिसर में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
संगोष्ठी का विषय था समकालीन राजनीतिक परिदृश्य में गांधी के विचारों की प्रासंगिकता। संगोष्ठी की अध्यक्षता बिहार विधान परिषद के सदस्य प्रो डॉ वीरेंद्र नारायण यादव ने की।
प्रारंभ में गांधी जी के प्रिय भजन रघुपति राघव राजा राम और वैष्णव जन ते तेने कहिये जे पीर पराई जाने रे से कार्यक्रम का शुरुआत हुआ । इस अवसर पर विषय प्रवर्तन करते हुए जयप्रकाश विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्राध्यापक डॉ. चंदन श्रीवास्तव ने कहा कि गांधी अपने विचारों के कारण आज भी प्रासंगिक हैं और भविष्य में भी प्रासंगिक बने रहेंगे। उन्होंने कहा की आज गांधी के विचारों को नकारात्मक तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है जिससे हमें सावधान रहने की आवश्यकता है।
मुख्य अतिथि के रूप में अंग्रेजी विभाग के अध्यापक डॉ गजेंद्र कुमार ने गाँधी के संपूर्ण जीवन और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में उनके योगदान की एक महत्ति चित्र को उपस्थित किया। उन्होंने आगे कहा अगर गांधी के विचारों को माना जाता तो ना तो भारत का विभाजन होता और ना देश में सांप्रदायिकता की स्थिति ही उत्पन्न होती।
संगोष्ठी के विशिष्ट वक्ता और जे पी विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के पूर्व विभाग अध्यक्ष डॉ लाल बाबू यादव ने कहा कि आज अरब इजराइल युद्ध, रूस युक्रैन युद्ध, हिंद महासागर में चीन द्वारा युद्ध की गतिविधियां तथा दुनियाभर में मंडरा रहे तीसरे विश्वयुद्ध की संभावनाओं को अगर हम टालना चाहते हैं तो हमें गांधी के विचारों को अपनाना होगा।
आगे उन्होंने कहा की आने वाले दिनों में अगर बहुजन हिताय और बहुजन सुखाए के आधार पर कोई विश्व सरकार बनती है तो यह गांधी के विचारों का फलीभौतिकरन ही माना जाएगा ।
अधिवक्ता सुबोध कुमार का कहना था कि गाँधी अपने विचारों और आदर्शों के कारण आज भी समीचीन बने हुए हैं जबकि माध्यमिक शिक्षा संघ के सचिव विद्यासागर विधार्थी का कहना था कि छात्रों और नई पीढी को गांधी के विचारों को अपने जीवन में अपनाना चाहिए ।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में डॉ वीरेंद्र नारायण यादव ने कहा की गिरिराज किशोर की प्रसिद्ध पुस्तक पहला गिरमिटिया गांधी के विचारों को पढ़ने का सबसे बड़ा स्त्रोत है अपनी दक्षिण अफ्रीका यात्रा की जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि युवा गांधी ने जो उस वक़्त अमिट छाप दक्षिण अफ्रीका में छोरी थी उसे आज भी वहाँ का समाज याद करता है।
संगोष्ठी में शोधार्थी दिवेश मिश्रा, शशि शेखर, इकबाल रहमानी, इंद्रेश कुमार, दीपक कुमार, राकेश कुमार ने भी अपने- अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री को भी भावभिनी श्रद्धांजलि अर्पित की गयी।