छपरा का नाईट शेल्टर: ठिठुरन में बाहर सोते हैं लोग, अंदर चलता है कार्यालय

छपरा का नाईट शेल्टर: ठिठुरन में बाहर सोते हैं लोग, अंदर चलता है कार्यालय

Chhapra: ठंड में बेघर और राहगीरों को रात में सिर के ऊपर छत और सोने के लिए बंद जगह मिल जाये तो वह उनलोगों को जीवनदान के समान है. दिन प्रतिदिन बढ़ रही ठंड और ठिठुरन में लोग त्रस्त है. यही कारण है कि बेघर लोग और राहगीर इन दिनों आशियाना ढूंढ रहे है. जिन्हें जहाँ जगह मिल रहा है रात गुज़र रही है.

हाड़ कपा देने वाली ठिठुरन भरी ठंड में यह तस्वीर सरकारी इन्तेजामात की दर्द ख़ुद बयां कर रही है. तस्वीर सोमवार की जरूर है लेकिन यह वाकया नया नही है. प्रतिवर्ष ठंड के दिनों में यह नजारा देखने को मिलता है. शहर के बीच चौराहे पर नगर निगम परिसर में बना यह नाईट शेल्टर बेघर लोग तथा राहगीरों को ठंड में राहत देने की बजाय ताला लटकाए रहता है. महिला और पुरुष के 10-10 बेड वाला यह नाईट शेल्टर विगत कई वर्षों से कार्यालयों के अतिक्रमण में है. दोनों ही कमरों में कार्यालयों के फ़ाइलो ने अपना जगह बना लिया है.

आलम यह है कि जहाँ रात में ठिठुरन से बचने की व्यवस्थाएं होनी चाहिए वहाँ लोग इसके ताला खुलने की बाट जोह कर बाहर ही सो कर रात गुजार कर चले जाते है. लेकिन बंद कोठियों में बैठें सरकारी बाबू को इन गरीबो के दर्द और ठिठुरन भरी ठंड दिखाई नही देती है.

 

क्या कहते है सरकारी बाबू

इस मामले को लेकर निगम के सीटी मैनेजर का कहना है कि सदर अस्पताल में निगम द्वारा 50 बेड वाला नया आश्रय स्थल बनाया गया है. इसलिए यहां लोग रहने के लिए नहीं आते है. सदर अस्पताल परिसर में बने आश्रय स्थल में तमाम सुविधाएं भी हैं.

लोगों का मानना है कि निगम परिसर में आश्रय स्थल होने के बाद भी जरूरतमंदों को लाभ न पहुंचना निगम प्रशासन की लापरवाही है. लोग बाहर ही सोने को मजबूर है. 

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