स्व. सुशील मोदी को दिया जाए देश का सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’: संजय गुप्ता

स्व. सुशील मोदी को दिया जाए देश का सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’: संजय गुप्ता

स्व. सुशील मोदी को दिया जाए देश का सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’: संजय गुप्ता

पटना: सुशील कुमार मोदी स्मृति शोध संस्थान के अध्यक्ष संजय गुप्ता ने शुक्रवार काे स्व. सुशील कुमार मोदी को देश के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित करने की मांग की है। साथ ही उन्होंने मोइनुलहक स्टेडियम का नाम ‘सुशील मोदी स्टेडियम’ करने, पटना मध्य में किसी प्रमुख स्थान पर सुशील मोदी की आदमकद प्रतिमा लगाने व उनके नाम पर बिहार सरकार से स्मारक व शोध संस्थान स्थापित करने की मांग की है।

संजय गुप्ता ने पत्रकार वार्ता में कहा कि राजनीतिक क्षेत्र में ऐसे बहुत कम लोग हुए हैं, जिन्होंने अपने उच्च व्यक्तिगत मूल्यों एवं आदर्शों से राजनीति की एक नई परिभाषा गढ़ी हो। बिहार की राजनीति के शिखर पुरुष सुशील कुमार मोदी का नाम उन्हीं चंद लोगों में वर्णित है, जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन राष्ट्र को समर्पित कर दिया और राजनीति के शीर्ष पर रहते हुए सार्वजनिक जीवन में स्वच्छता एवं शुचिता के नए प्रतिमान स्थापित किये। विद्वता, विनम्रता, त्याग एवं परिश्रम सुशील मोदी के व्यक्तित्व के वे मूल तत्व थे, जिनकी सहायता से उन्होंने सार्वजनिक जीवन में असाधारण ऊंचाइयों को प्राप्त किया।

आगामी 05 जनवरी को श्रीकृष्ण स्मारक सभागार में आयोजित उनके जयंती समारोह में इन मांगों को पूरा करने की जोरदार आवाज उठाई जाएगी।

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री सहित बिहार सरकार के मंत्रियों, विधायकों, विधान परिषद सदस्यों एवं सांसदों के साथ सभी दलों के प्रदेश अध्यक्ष, पद्मश्री एवं पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित शिक्षाविद, डॉक्टर एवं अति विशिष्ट जनों को आमंत्रित किया गया है। मुख्यमंत्री सहित कई मंत्रियों ने कार्यक्रम में आने की स्वीकृति दे दी है। कार्यक्रम में राज्य के अन्य जिलों से भी सुशील कुमार मोदी से जुड़े लोग, पार्टी के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता भाग लेंगे।

संजय गुप्ता ने कहा कि सुशील मोदी ने अपने जीवनकाल में एक कार्यकर्ता के रूप में, एक संगठनकर्ता के रूप में, एक नेता के रूप में, एक कुशल प्रशासक के रूप में जो उच्च मानदंड स्थापित किये, वह सार्वजनिक जीवन में सक्रिय प्रत्येक व्यक्ति के लिए अनुकरणीय है। उनका सक्रिय राजनीति में आना एक संयोग मात्र नहीं, बल्कि तत्कालीन सामाजिक एवं राजनीतिक परिस्थितयों के प्रभाव में लिया गया एक गंभीर निर्णय था। ‘राष्ट्र सर्वोपरि’ की विचारधारा से प्रेरित सुशील ने किशोरावस्था से ही ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ के स्वयंसेवक के तौर पर स्वयं को राष्ट्र की सेवा में समर्पित कर दिया था। सुशील आजीवन एक शोधार्थी रहे। तथ्यों को लेकर आग्रही सुशील के नाम पर पटना में शोध संस्थान स्थापित होने से नई पीढ़ी को प्रेरणा मिलेगी। साथ ही उनके नाम व कार्य को अमिट बनाने के लिए मोइनुलहक स्टेडियम का नाम उनके नाम पर किया जाय।

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