Chhapra: छपरा में सर्दी का सितम जारी है. बीते कुछ दिनों से शहर का पारा लगातार गिरता जा रहा है. इस कड़ाके की ठंड में बहुत सारे लोग ऐसे हैं, जिन्हें रहने की ना तो छत है ना ही दो वक्त की रोटी का कोई उपाय. रात 8 बजे के आसपास ऐसे दर्जनों लोग शहर के विभिन्न सड़कों के किनारे ठिठुरते हुए खुले आसमान के नीचे सोते हुए नज़र आ ही जाते हैं. बहुत सारे राहगीर इन रास्तों से गुजरते हैं. लेकिन इन बेसहारों के लिए रात के भोजन का इंतजाम करने का जिम्मा छपरा के ही कुछ युवाओं ने उठाया है. बीते कुछ महीनों से ये युवा सड़को पर पड़े दर्जनो मानसिक रूप से विक्षिप्तो को हर रात भोजन का इंतजाम करते है. ये युवा हर रात अपनी टीम के साथ शहर में घूम-घूम कर सड़क किनारे जिंदगी गुजर बसर कर रहे लोगों को खाने का पैकेट देने जाते हैं.
इसके लिए इन युवाओं ने छपरा में रोटी बैंक शुरू किया है. इसके तहत शहर के मोहन नगर से कुछ घरों से बचे हुए खाने को इकट्ठा कर हर रात इन बेसहारों को ढूंढ कर खाना खिलाने का कार्य किया जाता हैं.
विभिन्न घरों से इकट्ठा करते हैं बचा हुआ खाना
रोटी बैंक के सदस्यों द्वारा सबसे पहले हर रोज़ शाम 5 बजे से 7 बजे तक घूम घूम कर विभिन्न घरों से बचा हुआ खाना इकट्ठा किया जाता है. इसे एक जगह इकट्ठा होने के बाद रोटी बैंक के मोहन नगर स्थित कार्यालय में पैक किया जाता है. पैकिंग के बाद रोटी बैंक के सदस्य रात आठ बजे से शहर के विभिन्न सड़को पर जिंदगी गुजर बसर कर रहे भूखे और मानसिक विक्षिप्त लोगों को खाना खिलाया जाता है. छपरा के इन लड़को के इस प्रयास से बेसहारों को एक नयी राह दिखायी है. कल तक जो हर रात भूखे सोया करते थे. उन्हें अब रोटी बैंक के प्रयास से दो वक्त का खाना उपलब्ध हो जाता है.
छपरा के रविशंकर उपाध्याय और उनके कुछ मित्रों ने रोटी शुरू किया है. इन युवाओं की टीम में विजय राज, सुमन कुमार वर्मा कृष्णा श्रीवास्तव, विपिन, रविशंकर उपाध्याय, राकेश, विकास, हरीओम, सत्येंद्र कुमार, अरुण कुमार रामजन्म मांझी, अभय पाण्डेय के साथ दर्जनभर युवा इस सामाजिक पहल में शामिल हुए हैं.
बचा हुआ खाना ना फेंके रोटी बैंक को दे दे
रविशंकर बताते है कि रोटी बैंक का यह सपना, भूखा न सोय कोई अपना. इनका कहना है कि भारत में भूखमरी एक बड़ी समस्या है. कई लोग घर मे बचे हुए खाने को फेंक देते हैं. इन्ही बचे हुए खाने को इकट्ठा कर हम लोगों की भूख मिटाते हैं. इस अनाज की भी बर्बादी रोकी जा सकती है. उन्होंने लोगों से अपील भी की यदि आपके घर मे खाना रोज़ बच जाता है तो उसे फेंकने के बजाय रोटी बैंक को दें.
छपरा के इन युवाओं के इस मुहिम से जुड़ने में बाद लोग भी इनकी खूब सराहना कर रहे हैं. इस प्रयास के बाद लोग भी भूखे और बेसहारों की मदद के लिए लगतार इन मुहिम से जुड़ने लगे हैं. ये सभी युवा कहीं न कहीं कहीं कार्यकर्त हैं. इसके बाद भी काम से समय निकालकर लोगों की मदद का बीड़ा इन्होंने उठाया है. रोटी बैंक के प्रबंधक रविशंकर भी सरकारी स्कूल में शिक्षक है. स्कूल से लौटने के बाद वे अपने साथियों के साथ हर दिन खाना इकट्ठा करने के लिए निकल जाते हैं.
भारत के 23 शहरों में है रोटी बैंक
गौरतलब है कि रोटी बैंक भारत के 23 शहरों में कार्यरत है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम के तहत इसकी खूब तारीफ की है. इसके तहत बिहार में नवादा, गोपालगंज, मधुबनी, दरभंगा में भी रोटी बैंक के सदस्य सक्रियता से बेसहारो और भूखों की मदद करते हैं.
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