खुर्शीद साहिल पर शोध, आलोचनात्मक और व्यक्तिगत शोध की जरूरत: जावेद इकबाल
शोक सभा में कवियों, लेखकों और बुद्धिजीवियों ने अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की
Chhapra: साहित्य बुद्धि का आहार है। जिस तरह शारीरिक शक्ति और स्वास्थ्य के लिए भोजन जरूरी है। उसी तरह मानसिक विकास और व्यापक दृष्टिकोण के लिए साहित्य जरूरी है। ये बातें मशहूर शायर खुर्शीद की शोक सभा में उप निर्वाचन पदाधिकारी जावेद एकबाल ने कही।
उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में हर इंसान काम के सिलसिले में व्यस्त है। लेकिन कवि और लेखक ऐसे अवसर प्रदान करते हैं जो इंसान होने का एहसास कराते हैं। जिससे प्रसन्नता और शांति मिलती है। ख़ुर्शीद साहिल ने जीवन पर्यंत यह कार्य किया। उनके समकालीनों, साहित्यिक मित्रों और स्थानीय कवियों और लेखकों की जिम्मेदारी है कि वे खुर्शीद साहिल के व्यक्तित्व पर शोध, आलोचनात्मक और व्यक्तिगत लेख, रिपोर्ट आदि रचित करें। उन्होंने कहा कि सारण में एक साहित्यिक ठहराव की स्थिति थी। साहिल ने जाते जाते उसमें तरंग पैदा कर दिया है। यह सिलसिला निरंतर जारी रहना चाहिए। छपरा के साहित्यिक गतिविधियों को तेज करते हुए उसमें नए लोगों को भी शामिल किया जाना चाहिए।
डॉ. वलीउल्लाह कादरी ने खुर्शीद साहिल पर एक लघु आलेख प्रस्तुत किया और उनकी जीवनी, साहित्यिक सेवाओं और कविता का संक्षिप्त विश्लेषण प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि साहिल के परिवार से उनके निबंध, डायरी या रचनात्मक पांडुलिपियां और कागजात एकत्र करने के लिए कहा गया है। संग्रह प्राप्त होते ही संग्रह प्रकाशित करने का प्रयास किया जायेगा।
खुर्शीद साहिल के मित्र मशहूर शायर और बॉलीवुड गीतकार डॉ. मोअज्जम अज्म ने साहिल के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि मैंने उनके जीवन के तीन दौर देखे. तीनों में उन्होंने तीन अलग-अलग और पूरी जिंदगियां जीईं। जब खुर्शीद केवल अहमद थे तो उन्हें बॉडी बिल्डिंग का शौक था। विधिवत अखाड़ा स्थापित किया और कुश्ती भी लड़ी। फिर उनकी साहित्यिक यात्रा शुरू हुई और वे अहमद से पेवंद हो गए। जिसमें उन्होंने हास्य रचनाएं कीं। काफी सफल भी हुए परंतु फिर वे साहिल बन गंभीर कविताएँ लिखने लगे। उन्होंने स्थानीय से लेकर राज्य और अखिल भारतीय मुशायरों में प्रस्तुतियां दीं। कई अंतरराष्ट्रीय स्तर के कवि शायर उनके अच्छे मित्र रहे। डॉ. मोअज्जम ने कहा कि इन तीनों दौर में खुर्शीद में एक बात समान थी। वह थी उनकी जिंदादिली। साहिल की एक खासियत यह भी थी कि वह खाना बहुत अच्छा बनाते। अक्सर मित्र मंडली की पिकनिक होती। उन्होंने बीच बीच में साहिल के हास्य और गंभीर दौर के चयनित शेरों के माध्यम से अपने वक्तव्य को प्रभावी बनाया। साथ ही उन्होंने खुर्शीद को समर्पित अपनी कविता भी प्रस्तुत कर काव्यात्मक श्रद्धांजलि अर्पित की.
प्रो शकील अनवर ने कहा कि खुर्शीद शायरी करने की बजाए शायरी को जीते थे। छंद पूरा करने के लिए उसमें ही खो जाते और हो जाते और पूरा होते ही मित्रों को सुनाने को बेचैन भी हो जाते।
मशहूर गीतकार रिपुंजय निशांत ने अपने संस्मरणों में कहा कि जब खुर्शीद ने हास्य से गंभीर की ओर जाना चाहा तो मुझसे राय लिया। जिसका मैंने समर्थन किया। मैंने सोनपुर मेला में उनके संयोजकत्व में आयोजित अखिल भारतीय मुशायरा में मनव्वर राणा की अध्यक्षता में कलाम पढ़ा।अपने अध्यक्षीय संबोधन में दक्ष निरंजन शंभू ने कहा कि साहिल ने छपरा के लिए बहुत किया। अब हम सबकी जिम्मेदारी है कि उनके लिए करें। उन्होंने कहा कि खुर्शीद की जिंदादिली का इससे बड़ा उदाहरण क्या हो सकता है कि उसे पता था कि हर पल मौत करीब आ रही है। लेकिन उन्होंने निराश होने की बजाय मृत्यु शय्या पर भी साहस दिखाया। इस अवसर पर नेहाल अहमद, अधिवक्ता तैय्यब अली, विनोद चौधरी, सुनील कुमार आदि ने भी संबोधित किया. संचालन नदीम अहमद और धन्यवाद ज्ञापन श्री एकबाल ने किया।