Chhapra: मार्च में शिक्षकों की फीकी होली के बाद मई के महीनें में शिक्षकों का रमज़ान भी बदरंग होने जा रहा है. नियोजित शिक्षकों के प्रति सरकार की बेरुख़ी और शिक्षकों का अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर डटे रहना दोनों ही इसके कारण है. नियोजित शिक्षक 17 फरवरी से अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर है.कोरोना वायरस के Lockdown के बाद ही शिक्षक हड़ताल पर है. विद्यालय भी विगत 13 मार्च से बंद है. फिलहाल lockdown की अवधि 17 मई तक निर्धारित है.
17 फरवरी से हड़ताल पर रहने वाले शिक्षकों को वेतन नही मिल रहा है. शिक्षा विभाग द्वारा वैसे शिक्षकों को वेतन देने की अनुमति है जो हड़ताल से वापस आये हो, वह भी उस दिन से जब वह हड़ताल से वापस आये हो. शिक्षक संघ द्वारा जारी सूची के अनुसार जिले में प्रारंभिक विद्यालयों में करीब 95 प्रतिशत से अधिक शिक्षक एवं माध्यमिक विद्यालयों में 85 प्रतिशत शिक्षक हड़ताल पर है.
मुस्लिम शिक्षकों के लिए रमज़ान का महीना पाक पवित्र और ईबादत का महीना है. इस माह में मुस्लिम समुदाय के सभी 30 दिनों का रोजा रखते है साथ ही साथ ईद के अवसर पर नए नए कपड़ों की खरीददारी होती है. लेकिन इस बार मुस्लिम शिक्षकों का रोज़ा और रमज़ान बदरंग हो रहा है. फरवरी से वेतन नही मिलने के कारण शिक्षक आर्थिक रूप से कमजोर हो चुके है, ऐसे में घर परिवार के लोगों का रोजा रखना भी मुश्किल हो रहा है.
25 मई को ईद है ऐसे में मुस्लिम शिक्षकों को यह चिंता सता रही है कि उनके बच्चों एवं परिवार की उम्मीदों पर क्या होगा. बहरहाल केंद्र सरकार ने Lockdown की अवधि में सभी को कार्यरत मानते हुए वेतन देने का आदेश दिया है. लेकिन शिक्षकों के हड़ताल पर रहने से राज्य सरकार ने कोई निर्देश नही दिया है. शिक्षक संघ सरकार से बार बार वार्ता करने की बात कह रहे है लेकिन सरकार वार्ता को तैयार नही हो रही है और ना ही शिक्षकों पर किसी तरह की नरमी का ही आदेश जारी कर रही है.