Chhapra: एनएफआईआर एवं पूर्वोत्तर रेलवे कर्मचारी संघ रेलवे के नीजिकरण, निगमीकरण एवं श्रम क़ानून में संशोधन कर मज़दूर विरोधी बनाये जाने का विरोध कर रहा है. इससे रोज़गार के अवसर कम होंगे और मज़दूरों का शोषण होगा. इसी को लेकर पूर्वोत्तर रेलवे कर्मचारी संघ के वाराणसी मण्डल के अध्यक्ष ए एच अंसारी ने अपने छपरा अवस्थित आवास पर अपने परिवार के साथ मिलकर मोमबत्ती , टार्च एवं मोबाइल के टार्च जलाकर अपना विरोध प्रकट किया.
अंसारी ने बताया कि कोरोना काल में भी रेल कर्मचारी युद्ध स्तर पर अपनी ड्यूटी को निरंतर ईमानदारी से निभा रहे हैं. इसमें कई रेल कर्मचारी ड्यूटी करते हुए कोरोना से अपनी जान भी गवाँ दिये. लेकिन निरंकुश और मज़दूर विरोधी सरकार रोज़ नये-नये कर्मचारी विरोधी क़ानून बना रही है. अध्यक्ष अंसारी ने कहा कि लगातार केंद्र सरकार ने मजदूर विरोधी नीतियाँ बनाई हैं जिससे पूर्वोत्तर रेलवे के साथ पूरे भारतीय रेलवे पर कर्मचारियों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है. देश कोविड-19 जैसे महामारी से लड़ने के साथ-साथ देश में मज़दूर विरोधी नीतियों से भी संघर्ष कर रहा है. ऐसे में मज़दूर को एकत्र होकर सरकार की नीतियों के खिलाफ़ सड़क पर उतारना ही एकमात्र विकल्प रह गया है.
मज़दूरों के ज्वलंत मुद्दें हैं-
1) नीजिकरण एवं निगमीकरण के अंतर्गत भारतीय रेल पर 109 प्राइवेट ट्रेन चलाने की अनुमति दे दी है । रेल को प्राइवेट हाथों में सौंपने के साथ-साथ रक्षा विभाग, कोयला विभाग, एयर इंडिया, बैंक, एलआईसी, परमाणु ऊर्जा, बंदरगाह, हवाई अड्डे, पब्लिक सेक्टर के बैंकों को भी नीजि हाथों में सौंपने के विरोध में।
2) श्रम कानून के बदलाव के विरोध में।
3) मँहगाई भत्ता एवं मँहगाई राहत फ्रीज करने का आदेश अविलंब वापस हो।
4) रेल कर्मचारियों को केंद्रीय कर्मचारी बने रहने देने के लिए।
5) एनपीएस बंद कर पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करने।
6) श्रम विरोधी कानून बनाने के विरुद्ध में।
7) कोविड-19 काल में रेल कर्मचारियों को 5000000 की बीमा करने के लिए। पूर्वोत्तर रेलवे कर्मचारी संघ केन्द्र सरकार की ग़लत नीतियों का विरोध करता है। इसी क्रम में हमने परिवार के साथ टार्च जलाकर केन्द्र सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों का विरोध किया है।