चेहेल्लुम पर निकला मातमी जुलूस
छपरा: अधर्म के खिलाफ धर्म की और अन्याय के खिलाफ न्याय की विजय का प्रतीक चेहलुम जिले भर में अकीदत व एहतेराम के साथ रविवार को मनाया गया. यजीद जो अपने जमाने का सुपर पावर था जिसका शासन दुनिया भर पर था यजीद बहुत बड़ा जालिम जो हर बुराई, जुल्म और आतंक को अच्छाई का नाम दे रहा था. वही हजरत इमाम हुसैन जो उस समय इस्लाम, इन्सानियत, सत्य के सबसे बड़े रहबर थे, उन्होंने यजीद की बातो का इंकार किया और यजीद के खिलाफ आवाज बुलंद की तभी यजीद ने इमामहुसैन को मदीना से बुलाकर कर्बला के मैदान में तीन दिनों तक पानी बंद रखा उसमे इमामहुसैन का सबसे छोटा बेटा अली असगर जो 6 माह का दूधमुहा बच्चा था उसे भी यजीदी फौज ने पानी न देकर तीरों से मार डाला.
हजरत इमाम हुसैन आतंक के खिलाफ, जुल्म बुराई को खतम करने के लिए 72 साथियों के साथ अपनी शहादत दी. उसी की याद में शहर के दहियावां स्तिथ शिया कॉलोनी में अंजुमने जाफरया एव अंजुमने असगर या के तत्वाधान में मातमी जुलूस स्व तकिनावाब के अजाखाना से या हुसैन या हुसैन के मातम के साथ बड़ा इमामबाड़ा, छोटा इमामबाड़ा, फातमी इमामबाड़ा, डॉक्टर महमूद चौक, थाना चौक, मौना चौक होते हुए तेलपा कर्बला पहुंचा जगह जगह मौलाना ने तकरीर भी की जुलूस में कर्बला में शहीद हजरत इमामहुसैन का ताबूत, उनके छोटे भाई हजरत अब्बास का अलम एव 6 माह के अली असगर का झूला को देख सभी की आंखे नम रह गई.
दाऊद अली ने कहा की इमामहुसैंन ने कर्बला में अपने 72 साथियों के साथ बलिदान देकर मानवता की रक्षा कर दिन ए इस्लाम को बचाया. उन्होंने कहा की कैद से मुकती के बाद असिराने करबला का काफिला चेहलुम के दिन करबला ए मोआल्ला पहुंचा तो करबला का कण कण मातम से गौण उठा.
जुलूस में जंजीरी मातम चौक चौराहे पर बच्चे बूढ़े जवान कर कर्बला के 72 शहीदों की याद माना रहे थे. जुलूस में
सदर अनुमंडल के साथ पदाधिकारी की ड्यूटी भी लगाई गई थी. जुलूस में संस्थाओं द्वारा कोल्डड्रिंक, बिस्किट, आर ओ पानी पिलाया गया.
जुलूस में गुलाम पंजतन, असकरी रजा, शकील हैदर, बबलू राही, अशरफ हैदर, जफर अब्बास रिजवी, ताबिश, दानिश ने नौहा पढ़ कर मातम कराया.