Chhapra: सारण के कालूघाट में 1,750 करोड़ रुपये की लागत से वर्ष 2022 तक आधुनिक बंदरगाह बनेगा. यहां नेपाल सहित अन्य देशों से मालवाहक जहाजों पर विदेशी सामान लाये और ले जाये जा सकेंगे. यहां कस्टम जांच की व्यवस्था भी रहेगी. इस संबंध में केंद्रीय एजेंसी भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण को बिहार सरकार ने पांच हेक्टेयर जमीन उपलब्ध कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. अप्रैल में जमीन उपलब्ध होने के बाद बंदरगाह का निर्माण शुरू हो जायेगा. बुधवार को भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण की अध्यक्ष अमिता प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह जानकारी दी.
इसके तहत जलमार्ग को बढ़ावा मिलेगा. पटना, बेगूसराय, आरा और भागलपुर में रोरो टर्मिनल भी बनाये जायेंगे. प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के उपाध्यक्ष प्रवीर पांडेय और जलमार्ग विकास परियोजना के चीफ इंजीनियर और प्रोजेक्ट मैनेजर रविकांत मौजूद रहे.
प्राधिकरण की अध्यक्ष अमिता प्रसाद ने कहा कि बिहार सरकार को दो छोटे जहाज दिये जायेंगे. निर्माण कोचीन शिपयार्ड में हो रहा है. एक में 15 ट्रक और 150 यात्री एक बार में ढोये जा सकेंगे. वहीं, दूसरे में आठ ट्रक और 120 यात्री ढोये जा सकेंगे. इन जहाजों को अप्रैल तक आने की संभावना है. इनके चलने से पर्यावरण भी प्रदूषित होने से बचेगा. राष्ट्रीय जलमार्ग नं-1 के रूट हल्दिया से इलाहाबाद के बीच 1460 किमी रास्ते में ऐसे जहाज के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध है.
सदन में सांसद ने उठाया था कालूघाट का मुद्दा
बंदरगाह के निर्माण व आधुनिकीकरण के लिए सारण के सांसद राजीव प्रताप रूडी ने बीते वर्ष 18 जुलाई को लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान यह मुद्दा उठाया था सांसद ने कहा था इलाहाबाद हल्दिया रूट पर नेशनल वॉटरवेज वन भारत का सबसे पहला वाटर वेज है, जो गंगा नदी पर है. यह बिहार में लगभग 400 किलोमीटर में है उसमें भी 150 किलोमीटर सारण के क्षेत्र में पड़ता है. सांसद ने सवाल किया था कि आखिर कब तक सारण के कालू घाट पर टर्मिनल का निर्माण होगा, हालांकि सांसद का यह प्रयास रंग लाया है और अब यहाँ 1750 करोड़ की लागत से बंदरगाह बनेगा.