रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह त्योहार भाई बहन के स्नेह की डोर में बांधने वाला त्योहार है। इस दिन बहन भाई के हाथ में रक्षा बांधती है।
इस वर्ष रक्षाबंधन के दिन बहुत ही शुभ दिन बन रहा है। रक्षाबंधन के दिन श्रावण माह के अंतिम सोमवार पर रहा है। जो भगवान शिव के पूजन के लिए बहुत ही शुभ दिन है। बहने श्रावण मास की अंतिम सोमवारी का व्रत करेगी। वही भाई अपने बहन की रक्षा के लिए श्रावण मास की अंतिम सोमवार को शिव के पूजन करने के बाद रक्षाबंधन करेगें। महादेव का पूजन करने का अद्भुत दिन है।
लेकिन इस दिन भद्रा की साया दोपहर तक रहेगा। रक्षा+बंधन अर्थात किसी को अपनी रक्षा के लिए बांध लेना। राखी बांधते समय बहन कहती है। भैया मै तुम्हारे शरण में है मेरी सब प्रकार से आप रक्षा करना। कही -कही पर उपवास करती है। फिर शास्त्रीय विधि से पूजन करके राखी बंधती है।
भाई भी रक्षाबंधन के दिन उपहार में अपने बहन को कपड़ा पैसा तथा ज्वेलर देते है। किसी के भाई नहीं है वह परिवार में अपने से बड़ों को राखी बांध सकती है। किसी व्यक्ति को बहन नहीं है वह अपने पुरोहित से या गुरु से राखी बंधवा सकते है।
कब है रक्षाबंधन तथा रखी बांधने का शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि का आरंभ 18 अगस्त 24 दिन रविवार रात्रि 02 बजकर 21 मिनट यानि (19 अगस्त की सुबह) से आरम्भ होगी।
पूर्णिमा तिथि की समाप्ति 19 अगस्त 24 दिन मगंलवार रात्रि यानी (19 अगस्त 2024 की रात्रि) 12:28 मिनट पर समाप्त होगा।
भद्रा
19 अगस्त 2024 सोमवार को भद्रा दोपहर 01:25 मिनट तक रहेगा .
रक्षाबंधन का पर्व 19 अगस्त को मनाया जायेगा। रक्षाबंधन दोपहर 01:26 के बाद बहन अपने भाई के दाहिने हाथ के कलाई पर राखी बांधेगी।
भद्रा क्या होता है?
किसी भी शुभ कार्य में भद्रा का विचार करना बहुत ही जरुरी होता है। इस काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है।भद्रा भगवान सूर्य की पुत्री तथा शनि की बहन है।शनि की तरह भद्रा की स्वभाव करवा है। इसलिए ब्रह्मा जी ने भद्रा को कालगणना यानि पंचांग के एक प्रमुख भाग विष्टि करण में भद्रा का स्थान दिए है।इसलिए भद्रा को शुभ कार्य जैसे यात्रा,विवाह गृहप्रवेश ,विवाह ,पूजा पाठ के लिए वर्जित किया गया है।लेकिन भद्रा को कुछ मुहूर्त के लिए बहुत उपयोगी होता है।जैसे राजनितिक चुनाव ,कोर्ट -कचहरी के कार्य तंत्र विद्या मजबूत बनता है.
रक्षाबंधन की समाग्री
लाल चन्दन ,मिठाई ,कपूर ,छोटी थाली ,दिया,नारियल, सर पर रखने के लिए रुमाल या तौली, राखी इत्यादि।
रक्षाबंधन कौन सी दिशा में बैठकर करें
रक्षाबंधन करते समय सही दिशा की जानकारी होना बहुत जरूरी होता है। बहन जब भाई के कलाई में रक्षा बांधते समय भाई पूर्व दिशा में मुंह करके बैठ तथा बहन पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके बैठें। जिसे दोनो के जीवन में खुशहाली आयेगी।मन प्रसन्न रहेगा।
राखी बांधते समय कौन सी रंग के कपड़े पहनें तथा राखी किस रंग का बांधे।
राखी बांधते समय कपड़े का रंग तथा राखी के रंग का चुनाव करना बहुत जरूरी है। शुभ कार्य में शुभ रंग का उपयोग करने से त्यौहार में और खुशियां बढ़ जाती है। रक्षाबंधन के दिन बहन और भाई दोनो लाल, पिला, गुलाबी, हरा,केशरी, संतरी रंग का कपड़ा पहने। कला रंग का उपयोग नहीं करे।यह रंग शुभ नही होता है। वहीं काले रंग का रखी का उपयोग नहीं करे।
लक्ष्मी जी ने बलि को राखी बांधा था।
भगवान विष्णु ने बलि की दानवीरता से प्रस्सन हुए। बलि को बोले आप मुझसे कोई वरदान मांगने को कहा था।तब बलि ने उन्हें अपने साथ भगवान विष्णु को अपने साथ में रहने को
बोला तब भगवान विष्णु के साथ लक्ष्मी पाताल लोक गई और बलि को रक्षासूत्र बांधकर उसे अपना भाई बना लिया। इसके बाद से भगवान विष्णु अपने धाम चले गए।तब से रक्षाबंधन मनाया जाने लगा।
रक्षाबंधन का मंत्र।
येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि,रक्षे माचल माचल:
ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847