30 वर्ष से अधिक उम्र का कोई भी व्यक्ति हो सकता है हाई ब्लडप्रेशर का शिकार

30 वर्ष से अधिक उम्र का कोई भी व्यक्ति हो सकता है हाई ब्लडप्रेशर का शिकार

– अनुवांशिक रूप से होती है हाइपरटेंशन की बीमारी
– साल में एक बार ब्लडप्रेशर व ब्लडशुगर जांच जरूरी
– “अपने रक्तचाप को सही से मापें, नियंत्रण में रखें व ज्यादा जीवन जीएं ” है इस वर्ष हाइपरटेंशन दिवस का थीम

लोगों को हाइपरटेंशन यानी उच्च रक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर) के लिए जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 17 मई को विश्व उच्च रक्तचाप दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दौरान लोगों को उच्च रक्तचाप होने के लक्षणों की जानकारी देने के साथ ही इससे बचाव के उपायों की जानकारी दी जाती है। जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में लोगों के उच्च रक्तचाप की जांच करते हुए उन्हें इससे सुरक्षित रहने के उपायों की जानकारी दी गई। इस वर्ष विश्व उच्च रक्तचाप दिवस का थीम “अपने रक्तचाप को सही से मापें, नियंत्रण में रखें व ज्यादा जीवन जीएं ” रखा गया है।

परिवार के सदस्यों से भी अनुवांशिक रूप से होती है हाइपरटेंशन की बीमारी
सीएस डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि हाइपरटेंशन यानी उच्च रक्तचाप धीरे-धीरे नजर आने वाला रोग है, जिसका पता लोगों को देर से चलता। खराब जीवनशैली के कारण होने वाले उच्च रक्तचाप से लोग 30 वर्ष या उससे ज्यादा उम्र में शिकार होते हैं। कभी कभी परिवार के सदस्यों का उच्च रक्तचाप के शिकार होने पर आनुवंशिक रूप से उनके बच्चे भी इसका शिकार हो जाते हैं। इससे सुरक्षित रहने के लिए लोगों को 30 वर्ष की उम्र के बाद हर साल एक बार अपना स्वास्थ्य जांच अवश्य करवाना चाहिए। जांच के बाद अगर किसी का रक्तचाप ज्यादा है तो इसका इलाज कराना चाहिए क्योंकि 80 से 85 प्रतिशत लोगों में उच्च रक्तचाप का कोई लक्षण दिखाई नहीं देता। कभी कभी कुछ लोगों को यह बीमारी जीवन के अंतिम समय में हृदयघात, लकवा, किडनी फेल के रूप में प्रकट होता है जो जानलेवा होता है। इसलिए इस बीमारी को ‘साइलेंट किलर’ भी कहा जाता है। इससे सुरक्षा के लिए लोगों को साल में एक बार अपनी जांच करवानी जरूरी है।

उच्च रक्तचाप के कारण
• अधिक वजन व मोटापा
• शराब/तम्बाकू का अत्यधिक सेवन
• गुर्दा की बीमारी
• तनाव का होना
• अत्यधिक नमक का सेवन
• परिवार के किसी सदस्य के उच्च रक्तचाप से ग्रसित होने का इतिहास

बचाव हेतु खुद का ध्यान रखना जरूरी
उच्च रक्तचाप के शिकार लोगों को बचाव के लिए खुद का ध्यान रखना जरूरी है। इसके लिए लोगों को अपना वजन नियंत्रित रखना, शारीरिक गतिविधियों में वृद्धि, संतुलित आहार, फल व सब्जियों का सेवन, रक्तचाप की नियमित जांच, चिकित्सकीय सलाह पर आवश्यक दवाइयों का सेवन, शराब/तम्बाकू का सेवन वर्जित करना, तनाव से दूर रहना तेल,घी,नमक का सेवन कम करना आदि का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए।

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