Chhapra: जयप्रकाश विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर राजनीति विज्ञान विभाग में प्राध्यापक तथा बिहार शिक्षा मंच के संयोजक प्रो रणजीत कुमार ने शिक्षा मंत्री प्रो चंद्रशेखर को पत्र भेजकर बिहार के विभिन्न माध्यमिक, उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों तथा महाविद्यालयों में तीन साल तक सेवा दे चुके अतिथि शिक्षकों की सेवा नियमित करने की मांग किया है।
विदित हो कि शिक्षकों की कमी को देखते हुए इन शिक्षण संस्थानों में हजारों अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति की गई है जो नियमित एवम स्थायी रूप से नियुक्त नियोजित शिक्षकों एवम सहायक प्राध्यापकों के समान ही योग्यता रखते हैं और इनकी नियुक्ति प्रक्रिया में सरकार द्वारा निर्धारित मापदंडों का पालन किया गया है लेकिन अतिथि शिक्षकों की सेवा शर्त पूर्णतः अमानवीय एवम शोषणकारी है।
इन शिक्षकों को नियमित शिक्षकों को हासिल मूलभूत सुविधाओं एवम अधिकारों से वंचित रखा गया है। इन्हें न तो आकस्मिक अवकाश मिलता है और न ही बीमार होने पर चिकित्सा अवकाश की सुविधा हासिल है। इनकी सेवा निरंतरता भी संबंधित शिक्षण संस्थान के प्रधान की भलमनसाहत एवम रहमोकरम पर आधारित है। इस वजह से तमाम विद्वता एवम योग्यता के बावजूद अतिथि शिक्षक हीन भावना एवम कुंठा के शिकार हो रहे हैं। शिक्षण संस्थानों में भी इनके साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता है और सामाजिक स्तर पर भी ये प्रताड़ना के शिकार हैं। चूंकि अहर्ता और योग्यता के स्तर पर नियमित एवम अतिथि शिक्षकों में कोई अंतर नहीं है इसलिए वैसे अतिथि शिक्षक जो तीन साल की सेवा अवधि पूरी कर चुके हैं, उनकी सेवा नियमित कर दिया जाए । इससे सरकार को योग्य शिक्षक मिल जाएंगे और अतिथि शिक्षकों की सेवा संबंधी अनिश्चितता भी समाप्त हो जाएगी। न्याय के आधार पर विकास के लिए प्रतिबद्ध सरकार से इन शिक्षकों को बहुत उम्मीद है।