एचएम के प्रयास से मध्य विद्यालय के डिजिटल क्लास में पढ़ेंगे छात्र, बाल दिवस पर हुआ उद्घाटन
Chhapra: सरकारी विद्यालय में स्मार्ट क्लास में पढ़ना वहां पढ़ने वाले बच्चों के लिए सपना सा लगता है. देश भले ही आजादी के 75वी वर्षगांठ मना रहा हो लेकिन सरकारी स्कूलों में आज भी बच्चें प्लास्टिक के बोरियों पर बैठ कर ही पढ़ते है, उनके लिए आज भी सीमेंट और चावल, आटे की बोरियां झोला (बैग) है. जहां प्रतिवर्ष विद्यालय के विकास के नाम पर 75 हजार रुपए की राशि मिलती हो ऐसे सैकड़ों विद्यालयों में शिक्षकों की मेहरबानी से आज छात्रों के लिए बुनियादी सुविधाएं नदारद है. लेकिन इस व्यवस्थाओं के बीच कई ऐसे भी शिक्षक है जो जन भागीदारी और सीमित संसाधनों में अपने विद्यालय को सुसज्जित कर निजी विद्यालयों को टक्कर दे रहे है.
सारण जिले के नगरा प्रखण्ड स्थित लोहा छपरा सरकारी विद्यालय में सोमवार को बाल दिवस के अवसर पर बच्चों को स्मार्ट क्लास समर्पित किया गया. जिले का यह पहला मध्य विद्यालय होगा जहां स्मार्ट क्लास में छात्र शिक्षा लेंगे.
उत्क्रमित मध्य विद्यालय लोहा छपरा में बने स्मार्ट क्लास का उद्घाटन नगरा प्रखंड प्रमुख प्रतिनिधि योगेंद्र प्रसाद चौरसिया, कोरेयाँ पंचायत के मुखिया ललित कुमार यादव, खैरा पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि सह पैक्स अध्यक्ष अनिल कुमार सिंह ने संयुक्त रूप से फिता काटकर किया.
वही इस मौके पर प्रभारी प्रधानाध्यापक विजयेंद्र विजय ने बताया कि स्मार्ट क्लास से बच्चों को नई शिक्षा पद्धति के द्वारा क्लास चलाने में सहूलियत होगी. शैक्षणिक गतिविधि आधारित शिक्षा में सहयोग प्रदान होगा साथ ही डिजिटल इंडिया का सपना साकार होगा.
विजेंद्र विजय ने बताया कि यूनियन बैंक के प्रबंधक अनुज कुमार राजन द्वारा स्मार्ट टीवी का सहयोग दिया गया है.
वही प्रमुख प्रतिनिधि चौरसिया ने कहा कि नगरा प्रखंड के लिए यह एक पहला प्राथमिक पाठशाला है जहां स्मार्ट टीवी से पढ़ाई होने जा रहा है.
इस विद्यालय की बुनियादी सुविधा में वृद्धि को लेकर हर संभव हम मदद करेंगे और इस विद्यालय को मॉडल विद्यालय के रूप में स्थापित किया जाएगा.
स्थानीय मुखिया ललित प्रसाद यादव ने कहा कि जल्द ही विद्यालय में ईटाकरण एवं विद्यालय में बेंच अपने स्तर उपलब्ध कराएंगे.
वही गणेश शाह पंचायत समिति प्रतिनिधि कोरेयां ने 5 जोड़ी बेंच देने का वादा किया.
बताते चले कि मध्य विद्यालय लोहा छपरा में सभी बच्चें और शिक्षको के लिए ड्रेस कोड निर्धारित है. सभी के पास परिचय पत्र उपलब्ध है वही बेहतर बागवानी भी कराई गई है. अन्य विद्यालयों की तरह भले ही बेंच ना हो लेकिन यहां बच्चों के बैठने के लिए दरी उपलब्ध है. प्रधान शिक्षक का कहना है कि सरकार राशि उपलब्ध कराती है जितना कार्य हो सकता है वह किया जाता है लेकिन जनभागीदारी और सहयोग से सरकारी विद्यालय को और भी बेहतर बनाया जा सकता है जरूरत कुछ कर गुजरने की जिसके लिए सभी को संकल्प लेना होगा.
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