Chhapra: छपरा के शारदा क्लासेस के छात्र देबोमय डे ने आईआईटी एडवांस की परीक्षा में बेहतरीन रैंक लाकर इतिहास रच दिया है. शारदा क्लासेज के इस छात्र को पूरे देश में 3955 वां रैंक मिला है. ऐसा पहली बार है जब छपरा के किसी कोचिंग संस्थान से तैयारी कर के किसी छात्र को आईआईटी में देश भर में इतना बढ़िया रैंक आया हो. इस सफलता के बाद देबोमय को आईआईटी मिलना तय है. जो अपने आप में सारण जिले के लिए गौरव की बात है.
पिछले साल भी आया था रिजल्ट
शहर के सलेमपुर, कालीबाड़ी निवासी देबाशीष डे के पुत्र देबोमय पिछले 3 साल से शारदा क्लासेस के साथ जुड़कर आईआईटी की तैयारी में लगे थे. पिछले साल भी उन्होंने मेंस और एडवांस में बेहतर प्रदर्शन किया था. लेकिन आईआईटी नहीं मिलने के कारण उन्होंने एक साल और जमकर तैयारी करने की ठानी और इस बार बेहतरीन रैंक के साथ उन्होंने आईआईटी में अपना एडमिशन पक्का कर लिया है.
हर दिन 7 घण्टे की पढ़ाई
देबोमय का कहना है कि जब कॉन्सेप्ट क्लियर हो तो तैयारी में भी कोई परेशानी नहीं होती है. उन्होंने बताया कि शारदा क्लासेस जॉइन करने के बाद वो 4-5 घंटे क्लास करते थे. वही क्लास से आने के बाद घर पर हर दिन घर पर 7 घंटे पढ़ाई करते थे. पूरे 3 साल उन्होंने इसी तरह तैयारी की और आज रिजल्ट आने के बाद पूरे शारदा क्लासेस के साथ पूरे सारण में खुशी का माहौल है. देवों में का कहना है कि आईआईटी पास करने के लिए बड़े शहर नहीं बल्कि अच्छी गाइडलाइन मिलनी चाहिए कुछ लोग शुरू में अच्छी तैयारी करते हैं लेकिन निर्मल निरंतरता की कमी के कारण तैयारी छात्रों की हो नहीं पाती इसलिए निरंतरता बहुत जरूरी है
आईआईटी से पढ़े भाइयो ने छपरा को दिया है नया उम्मीद
छपरा के शारदा क्लासेस के निदेशक व शिक्षक वसुमित्र सिंह और सिद्धार्थ सिंह दो ऐसे भाई है. जिन्होंने लाखो की नौकरी को छोड़कर छपरा में शारदा क्लासेज की शुरुवात की. शारदा क्लासेज ने पहले वर्ष से ही जेईई मेंस में शानदार रिजल्ट देना शुरू किया और आज आईआईटी का रिजल्ट दे कर कमाल कर दिया है. जहाँ IIT में जाने के लिए बिहार से छात्रों का पलायन कोटा की तरफ होता था और कोई ये सोच नहीं सकता था की छपरा में रह कर भी IIT की परीक्षा में सफलता पाया जा सकता है। इस पूरी सोच को बदलते हुए छपरा के देबोमाये डे ने इतिहास रचा है.
बाहर जा कर तैयारी करने से बहुत तरीके की कठिनाई होती है
देबोमाये ने कहा की,”बाहर जा कर तैयारी करने से बहुत तरीके की कठिनाई होती है और बिगड़ने का डर भी होता है. अब जब छपरा में खुद आईआईटी से पढ़े शिक्षक शारदा क्लासेज में पढ़ा रहे है तो बहार जाने का मतलब ही नहीं है”. अपनी सफलता का पूरा श्रेय उन्होंने अपने परिवार को देते हुए ये कहा की “वसु सर का मैथ्स, सिद्धार्थ सर का फिजिक्स और मिथलेस सर का केमिस्ट्री पढ़ाने का ही तरीका इतना सहज है. जो आईआईटी की तैयारी को आसान बना देता है.
स्मार्टफोन बिल्कुल न रखें छात्र, भटकता है ध्यान: देबोमय
आईआईटी की परीक्षा क्लियर करने वाले छात्र देबोमय आज के इस डिजिटल दौर में भी स्मार्टफोन नहीं रखते हैं. देबोमय ने बताया कि एक स्मार्टफोन की वजह से पढ़ाई में ध्यान काफी भटकता है. उन्होंने अन्य परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों को स्मार्टफोन न रखने की सलाह. देबोमय बताते हैं कि छात्र जितना भी हो सके स्मार्टफोन से दूर रहने की कोशिश करें, यही उनके लिए बेहतर है.