कही महंगा ना पड़ जाए कम उम्र में बच्चे को बाइक चलाने की छूट देना

कही महंगा ना पड़ जाए कम उम्र में बच्चे को बाइक चलाने की छूट देना

  • तेज़ रफ़्तार में बाइक दौरा रहे है नाबालिग
  • दुर्घटना की बनी रहती है आशंका
  • नाबालिग से दुर्घटना होती है तो अभिभावक जिम्मेवार

Chhapra: शहर में तेज रफ़्तार में दौड़ती बाइक्स और स्कूटी आपको रोजाना दिख ही जाती होंगी. तेज़ रफ़्तार में सड़क पर चल रहे इन वाहनों को अधिकतर युवा ड्राइव कर रहे होते है. ट्यूशन जाने के लिए या घर के लिए सामान लाने के लिए माता-पिता के द्वारा कम उम्र में ही इन्हें बाइक और स्कूटी मुहैया करा दी जा रही है. ऐसा कर के अभिभावक को लगता है कि वे अपने बच्चे के साथ अच्छा कर रहे है पर सड़क पर जिस प्रकार दुर्घटनाएँ हो रही है वैसे में यह उन्हें महंगा पड़ सकता है.

सड़क पर तेज़ रफ़्तार के कारण जब कोई अनहोनी हो जाती है तब अभिभावकों को अपनी गलती का अहसास होता है. तब केवल पश्चाताप के आलावे कोई रास्ता नहीं बचता.

इन दिनों शहर की सड़कों पर आपको 18 साल से कम उम्र के नाबालिग बच्चे बाइक और स्कूटी चलाते नजर आ जायेंगे. रफ़्तार भी ऐसी की फेरारी भी ना पकड़ पाए. ऐसे में हादसों को निमंत्रण देना स्वाभाविक है. अभिभावक अपने फायदे और बच्चे को खुश करने के लिए बाइक तो खरीद दे रहे है पर उन्हें यह अहसास नहीं कि बिना ड्राइविंग लाइसेंस के पकड़े जाने या दुर्घटना की स्थिति में उन्हें ही परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.

ऐसे नाबालिग और युवा बाइक चालक हेलमेट लगाने से परहेज करते है. वही एक वाहन पर तीन सवारी भी आम है. यही नहीं बाइक पर उछल कूद और कलाबाजी दिखाना भी सड़क से गुजरने वाले अन्य वाहन चालकों के लिए परेशानी का सबब बनता है.

कानून के अनुसार नाबालिग से यदि कोई दुर्घटना होती है तो वैसी स्थिति में अभिभावक भी दोषी माने जायेंगे. ऐसे में अभिभावकों को चाहिए की अपने बच्चों को कम उम्र में वाहन मुहैया ना कराये नहीं तो किसी अनहोनी के होने पर पश्चाताप के सिवा कोई चारा नहीं रहेगा.

क्या कहते है ट्रैफिक प्रभारी
छपरा शहर के ट्रैफिक प्रभारी राजेश कुमार सिंह ने कहा कि कम उम्र और तेज़ रफ़्तार, लहेरिया कट बाइक, स्कूटी चलाने वालों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है. उनको फाइन किया जा रहा है. नाबालिग चालकों के अभिभावकों को भी चेतावनी दी जा रही है. ताकि वे अपने बच्चों पर नजर रख सके. इसके आलावे ट्रैफिक रूल को ना मानने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है.

एक आकड़ें के मुताबिक देश में हर घंटे करीब 55 एक्सीडेंट होते हैं, जिनमें 17 लोगों की मौत हो जाती है. यानी हर 3.5 मिनट पर एक व्यक्ति सड़क दुर्घटना में अपनी जान गंवा देता है.

File Photo

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