Chhapra: भाद्रपद मास की षष्ठी तिथि को आस्था के पर्व छठ के तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया गया. चार दिवसीय इस अनुष्ठान के तीसरे दिन व्रतियों ने तालाब और नदी किनारों के साथ साथ छठ घाटों पर अस्ताचलगामी भगवान भाष्कर को अर्घ्य दिया.
व्रती अब रविवार को उदयीमान भगवान भाष्कर को अर्घ्य देकर अपने इस अनुष्ठान को पूरा करेंगे.
हालांकि इस छठ को करने वाले व्रतियों की संख्या चैत्र और कार्तिक मास के व्रतियों की संख्या से कम है. इसके बावजूद ग्रामीण इलाकों में इस व्रत को करने वाले व्रतियों की संख्या में वृद्धि हो रही है. आम तौर पर इस छठ व्रत को करने वाले व्रतियों का मानना है कि भाद्रपद मास के छठ व्रत को वही व्रती करते है जो मन्नत मांगते है. मन्नत पूरी होने के बाद इस व्रत को करते है.
बताते चले कि महापर्व छठ पूरे वर्ष ( हिंदी मास ) में तीन बार मनाया जाता है. चैत्र मास, भाद्रपद मास एवं कार्तिक मास में. सबसे ज्यादा संख्या कार्तिक मास को करने वाले व्रतियों की होती है. इस मास के छठ व्रत में खासा लोगो का उत्साह होता है. बिहार के लोगो के लिए इस माह का व्रत मुख्य माना जाता है.