• चार बेड जेनरल वार्ड भी बनाया गया
• सभी पीएचसी और सीएचसी में दो-दो बेड का वार्ड तैयार
• डीएमओ ने की गहन समीक्षा
Chhapra: जिले में चमकी बुखार और जापानी इंसेफ्लाटिस से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से अलर्ट है। इसको लेकर व्यापक स्तर पर तैयारी पूरी कर ली गयी है। सदर अस्पताल में 10 बेड का पीकू वार्ड तथा 4 बेड जेनरल वार्ड तैयार कर लिया गया है। इसकी साथ हीं सभी पीएचसी और सीएचसी स्तर पर दो-दो बेड का वार्ड तैयार कर लिया गया है। इसके लिए चिकित्सकों और कर्मियों की प्रतिनियुक्ति कर ली गयी है। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. दिलीप कुमार सिंह ने अन्य पदाधिकारियों के साथ सदर अस्पताल में वार्डों का निरीक्षण किया और आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। डीएमओ ने बताया कि इससे निपटने के लिए व्यापक स्तर पर तैयारी पूरी कर ली गयी है। स्वास्थ्यकर्मियों के प्रशिक्षण, समाज में जागरूकता से लेकर इंफ्रास्ट्रक्चर और दवाइयों व उपकरण की प्रचूरता है। सामूहिक सहभागिता और अंतर्विभागीय समन्वय के साथ जागरूकता अभियान चलाया जायेगा। इसको लेकर आशा कार्यकर्ताओं और आगंनबाड़ी सेविकाओं के बीच सामग्री का वितरण किया जा चुका है। इस मौके पर डीएस डॉ. एसडी सिंह, डीआईओ डॉ. चंदेश्वर सिंह, शिशु रोग विशेषज्ञ सह मास्टर ट्रेनर डॉ. संदीप कुमार यादव, अस्पताल प्रबंधक राजेश्वर प्रसाद समेत अन्य मौजूद थे।
शुरुआती दौर में पहचान जरूरी
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. संदीप कुमार यादव ने कहा कि एईएस में एक से 15 साल तक के बच्चों को शुरू में ही चिह्नित कर लें तो बचाव संभव है। एईएस होने पर शुरू का समय गोल्डेन आवर होता है। इस समय सही इलाज से बच्चे की जान बचायी जा सकती है। एईएस मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के लिए तीन स्तर पर एम्बुलेंस की व्यवस्था की गयी है। इसके अलावा प्रत्येक प्रखंड में दो ब्लॉक में इसके लिए बेड सुरक्षित कर लिए गए हैं। आशा और आंगनबाड़ी कर्मियों को पारासिटामोल और ओआरएस के पैकेट भी वितरित किए गए हैं, ताकि समय पर बच्चों को उपलब्ध हो पाए।
तीन बातें हमेशा रखें याद
एईएस के दौरान तीन बातें हमेशा याद रखें । जिसमें बच्चों को रात में सोने से पहले जरूर खाना खिलाओ, सुबह उठते ही बच्चों को भी जगाओ। देखो कही बेहोशी या चमक तो नहीं और बेहोशी या चमक दिखते ही तुरंत एम्बुलेंस या नजदीकी गाड़ी से अस्पताल ले जाएं।
ये है चमकी बुखार के प्रारंभिक लक्षण
• लगातार तेज बुखार रहना।
• बदन में लगातार ऐंठन होना।
• दांत पर दांत दबाए रहना।
• सुस्ती चढ़ना।
• कमजोरी की वजह से बेहोशी आना।
• चिउटी काटने पर भी शरीर में कोई गतिविधि या हरकत न होना आदि।
चमकी बुखार से बचाव के लिए ये सावधानियाँ हैं जरूरी
• बच्चे को बेवजह धूप में घर से न निकलने दें।
• गन्दगी से बचें , कच्चे आम, लीची व कीटनाशकों से युक्त फलों का सेवन न करें।
• ओआरएस का घोल, नीम्बू पानी, चीनी लगातार पिलायें।
• रात में भरपेट खाना जरूर खिलाएं।
• बुखार होने पर शरीर को पानी से पोछें।
• पारासिटामोल की गोली या सिरप दें।
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