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वित्त मंत्री ने कहा- केंद्र सरकार लॉकडाउन लगाने के लिए तैयार नहीं

नई दिल्ली: देश के ज्यादातर हिस्सों में कोरोना का संक्रमण तेज रफ्तार से लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। खतरे को देखते हुए सीबीएसई ने 10वीं की परीक्षा रद्द कर दी है, जबकि 12वीं की परीक्षा टाल दी गई है। कई राज्यों में लॉकडाउन जैसी पाबंदियां लगा दी गई हैं। इतना होने के बावजूद केंद्र सरकार दोबारा व्यापक पैमाने पर लॉकडाउन लगाने के लिए तैयार नहीं है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साफ कर दिया है कि सरकार व्यापक स्तर पर लॉकडाउन लगाकर देश की अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से ठप करने की पक्षधर नहीं है। 
विश्व बैंक समूह के अध्यक्ष डेविड मालपास के साथ हुई एक ऑनलाइन बैठक में वित्त मंत्री ने स्वीकार किया कि कोरोना संक्रमण के दूसरे दौर में ये जानलेवा बीमारी काफी तेजी के साथ फैली है। इसके बावजूद केंद्र सरकार पूर्ण लॉकडाउन लगाकर देश की अर्थव्यस्था को एक बार फिर ठप कर देने के पक्ष में नहीं है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए अलग अलग राज्यों में स्थानीय स्तर पर कदम उठाए जा रहे हैं। कोरोना की लड़ाई में भारत जैसे देश के लिए यही सबसे उपयुक्त तरीका है। 
वित्त मंत्री ने कहा कि भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश में पूर्ण लॉकडाउन लगाने जैसा सख्त फैसला बार बार नहीं लिया जा सकता है। सभी राज्य सरकारें अपनी अपनी जरूरतों और राज्य की स्थिति को ध्यान में रखते हुए इस संबंध में योजना बना रही हैं और उस योजना के मुताबिक इस जानलेवा बीमारी से निपटने के काम में लगी हुई हैं। इसके अलावा स्थानीय स्तर पर कोरोना से संक्रमित मरीजों या उनके परिवार को क्वारंटीन में अलग रखने के उपाय भी किये जा रहे हैं। इन उपायों को भी सख्ती से अपनाने से कोरोना के फैलाव पर अंकुश लगाया जा सकता है। 
डेविड मालपास के साथ हुई ऑनलाइन चर्चा के दौरान वित्त मंत्री ने उन्हें कोरोना वायरस महामारी के फिर से फैलने को रोकने के लिये भारत में अपनाई जा रही पांच सूत्री रणनीति की जानकारी दी। इस पांच सूत्री रणनीति के तहत जांच (टेस्ट), संक्रमण की शुरुआत का पता लगाना (ट्रैकिंग), उपचार करना (ट्रीटमेंट), टीकाकरण (वैक्सीनेशन) और कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए किया जाने वाला उचित आचरण (एप्रोप्रिएट बिहेवियर) पर ध्यान दिया जाता है। विश्वबैंक समूह के अध्यक्ष डेविड मालपास के साथ ऑनलाइन बैठक में निर्मला सीतारमण ने विश्व बैंक की ओर से भारत के विकास के लिए और अधिक कर्ज सुविधा की गुंजाइश बढ़ाए जाने की पहल के लिए विश्वबैंक की सराहना भी की। 
इस संबंध में विश्व बैंक की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि डेविड मालपास और निर्मला सीतारमण के बीच हुई ऑनलाइन चर्चा में कोरोना संकट के कारण अर्थव्यवस्था पर पड़ रहे असर की चर्चा की गई। इसके साथ ही दोनों के बीच भारत की नागरिक सेवा, वित्तीय सुधार, जल संसाधन प्रबंधन और स्वास्थ्य समेत दूसरे अन्य अहम मुद्दों पर भी सारगर्भित बातचीत हुई।

 

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