महिलाओं के सशक्तिकरण में डिजिटल मीडिया का योगदान

महिलाओं के सशक्तिकरण में डिजिटल मीडिया का योगदान

कुछेक वर्षों पूर्व, एक समय था जब महिलाओं के लिए बाह्य दुनिया से भेंट करने हेतु अखबार, रेडियो, दूरदर्शन, पत्रिकाओं आदि जैसे एकपक्षीय माध्यम थे. इन माध्यमों के द्वारा अतिविशिष्ट महिलायें ही अपनी बात दुनिया के सामने रख पाती थीं जबकि सामान्य महिलाओं के लिए तो दुश्वारिता बदस्तूर कायम थी.

आज डिजिटल मीडिया यानि अंकीय सम्प्रेषण के माध्यम से महिलायें सामान्य-सी बातों के जरिये दुनिया को तीव्र गति से अवगत करा रहीं और अन्य लोग उसका लाभ उठा रहे. मुद्दे तो अनेक हैं पर बात जब योगदान की आती है तो डिजिटल मीडिया का अवदान ही कहा जायेगा महिलाओं के प्रति जिसके कारण आज की महिलायें निःसंकोच-स्पष्टवादिता के साथ इस #पुरुष वर्ग द्वारा अपने ऊपर किये जा रहे अत्याचार का बेबाक तरीके से पुरजोर विरोध दर्ज करा,सुरक्षित हो रहीं.
आज फेसबुक-ट्विटर के माध्यम से महिलायें अपने ऐच्छिक समूहों/व्यक्तियों से जुड़ कर समाज-राष्ट्र को एक दिशा-दशा प्रदान कर रहीं.

समाज में व्याप्त सामाजिक कुरीति दहेज का मामला हो या पुरुषों द्वारा अपने ऊपर किये जा रहे मानसिक/शारीरिक उत्पीड़न का प्रतिकार,सब जगह डिजिटल मीडिया इनको लाभान्वित कर रहा. एक तरफ #निर्भया बलात्कार काण्ड के दोषियों को त्वरित गति से सजा दिलाने में डिजिटल मीडिया का बहुत बड़ा योगदान रहा तो दूसरी तरफ #Me_Too डिजिटल कैंपेन के जरिये वैश्विक स्तर पर महिलाओं का एक मंच पर जुटान हो रहा जो अपने जीवनकाल में कभी न कभी शारीरिक उत्पीड़न का शिकार हुई हैं. ये महिलायें आज उन कई सफेदपोशों के प्रति पुरजोर विरोध दर्ज करा रहीं जो कभी न कभी उनके साथ गलत कर समाज में सम्मान्य-जन की गिनती में आते रहे हैं.

आज महिलाओं को सुरक्षित यात्रा कराने में सहूलियत से लेकर मनपसंद खरीदारी कराने तक डिजिटल मीडिया सुविधा प्रदान करा आत्मनिर्भरता की नयी परिभाषा को साकार कर रहा. आज रेलयात्रा में प्रसवपीड़ा से व्याकुल महिला के एक #ट्वीट पर केंद्रीय रेलमंत्री से लेकर रेलयात्रा को सुविधाजनक बनाने वाले सारे कर्मचारी त्वरित यथायोग्य उपचार की व्यवस्था कराते नजर आते हैं. मनपसंद परिधानों से लेकर आहार-विहार में समुचित विकल्प देकर, डिजिटल मीडिया अपनी उपयोगिता साबित कर रहा. लेकिन, प्रत्येक चीजों के दो पहलू रहने के कारण इसके भी सुपरिणाम के साथ कुछ दुष्प्रभाव हैं जिससे हम अनभिज्ञ नहीं.

अपने आहार-विहार-स्वास्थ्य को अनदेखा कर हमारे युवा वर्ग के लड़कियाँ/लड़के इसका दुरुपयोग कर कहीं न कहीं अनैतिक संबंधों का सृजन कर रहे जो समाज के लिए नुकसानदायक है. फिर भी, डिजिटल मीडिया हम महिलाओं को सुरक्षित-सशक्त बनाने में कोई कोताही नहीं बरत रहा आवश्यकता है केवल इसके #सदुपयोग की.

यह लेखक के  निजी विचार है. 

   कश्मीरा सिंह
            लेखक, साहित्यकार, छपरा

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