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आध्यात्मिक, सामाजिक प्रगति का मूल है योग: रुडी

नई दिल्ली: आध्यात्मिक, सामाजिक प्रगति का मूल है योग. भारतीय सभ्यता की इस अमुल्य देन से हम न केवल अपने भौतिक शरीर को बल्कि सूक्ष्म व कारण शरीर को भी आध्यात्मिक सुंदरता दे सकते है.

एक सर्वे के अनुसार भारत में योग के प्रति लोगों का रूझान बढ़ता जा रहा है और लोग योग के शरीर और मस्तिष्क पर पडऩे वाले बेहतर और सकारात्मक प्रभाव के कारण इसे अपना रहे है. उक्त बातें अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस के कार्यक्रम में नागालैण्ड पहंूचे केन्द्रीय कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) राजीव प्रताप रुडी ने कही.

उन्होने कहा कि भारत में वैदिक काल से मौजूद योग विद्या एक जीवन शैली है जिसे माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नया मुकाम दिलाया. ज्ञातव्य है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योग को अन्तरराष्ट्रीय मान्यता दिलाने के लिए सन 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रस्ताव दिया था. प्रधानमंत्री के प्रस्ताव के मात्र तीन महीने के अंदर हींे संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने को मंजूरी दे दी, जिसका 177 देशों ने समर्थन किया. इसी के साथ भारत की सेहत से भरपूर प्राचीन विद्या योग को वैश्विक मान्यता मिल गई है.

विश्व योग दिवस के कार्यक्रम के लिए नागालैण्ड पहुंचे केन्द्रीय कौशल विकास मंत्री ने उन्होंने कहा कि भारतीय सभ्यता की महत्वपूर्ण देन योग को वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाने वाले माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बहुत-बहुत धन्यवाद, जिनके प्रयास से आज विश्व ने तीसरा योग दिवस मनाया.

श्री रुडी ने कहा कि आज माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व मे हमारा देश अपनी पुरानी विश्वगुरु की छवि पाने व पुनः सोने की चिडिया बनने की तरफ अग्रसर है. इसके लिए युवाओं को देश के विकास में अपनी भागीदारी समझनी चाहिए. हमें भी अपनी आनेवाली पीढ़ी को बताना होगा, समझाना होगा, हमारी प्राचीन उन्नत परंपरा के बारे में हमारे गौरवशाली इतिहास के बारें, हमारे ऋषि-मुनियों द्वारा प्रदत ज्ञान के बारे में.

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