बिहार के विद्यार्थी नहीं, घटिया शिक्षा देने वाली सरकार हुई है फेल: सुशील मोदी

बिहार के विद्यार्थी नहीं, घटिया शिक्षा देने वाली सरकार हुई है फेल: सुशील मोदी

पटना:
पटना: पूर्व उपमुख्यमंत्री और बिहार विधानपरिषद में नेता प्रतिपक्ष सुशील मोदी ने बिहार बोर्ड के रिजल्ट को लेकर राज्य सरकार पर जोरदार हमला बोला है. उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री बताये कि मैट्रिक की परीक्षा में शामिल हुए कुल 15 लाख 47 हजार परीक्षार्थियों में आधे से ज्यादा (53.34 फीसद) फेल क्यों हो गए? पिछले साल 75 प्रतिशत छात्र पास हुए थे. दोनों परीक्षाएं नीतीश कुमार के शासनकाल में हुईं, इसलिए इसमें घटिया शिक्षा देने वाली उनकी सरकार फेल हुई है, विद्यार्थी नहीं. सबसे बड़ी मार तो सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब परिवारों के विद्यार्थियों पर पड़ेगी. आरक्षण पर भ्रम फैलाने वाले बतायें कि जो 8 लाख 21 हजार छात्र मैट्रिक में ही फेल कर गए, उन्हें आरक्षण का लाभ कैसे मिलेगा?  

इस निराशाजनक परीक्षा परिणाम के लिए शिक्षा मंत्री नकल पर नकेल कसने का तर्क दे कर खस्ताहाल षिक्षा व्यवस्था की जिम्मेवारी लेने से बच रहे हैं. क्या ऐसे में शिक्षा मंत्री मुख्यमंत्री पर यह आरोप नहीं लगा रहे हैं कि पिछले साल नकल की खुली छूट दी गई थी इसलिए 75 प्रतिशत छात्र सफल रहे थे? यानी सरकार चुनावी वर्ष में नकल की छूट दे कर वोट ले लें और बाद में कड़ाई कर 8 लाख छात्रों का एक साल बर्बाद कर दें.

शिक्षा मंत्री खराब रिजल्ट के लिए शिक्षकों को जिम्मेवार ठहरा कर अपना फेस सेंविंग कर रहे हैं. हकीकत है कि जहां एक लाख से ज्यादा शिक्षकों के पद रिक्त हैं वहीं प्लस टू स्कूलों में तो विज्ञान और अंग्रेजी के शिक्षक ही नहीं है. दूसरी ओर उपलब्ध शिक्षकों को भी सरकार शिक्षकेत्तर कार्यों में तैनात करने से परहेज नहीं करती है. शिक्षकों की कमी की वजह से सिलेबस पूरा नहीं हो पाता है और छात्रों को ट्यूशन या अपने से पढ़ाई पूरी करनी पड़ती है. इस बार तो अगर मॉडल क्वेश्चन  पेपर से अधिकांश सवाल नहीं पूछे जाते तो 25 फीसदी भी रिजल्ट नहीं आता.

सरकार की घोर उपेक्षा के बावजूद अगर सिमल्लतुला आवासीय विद्यालय के बच्चों ने बेहत्तर प्रदर्शन किया है तो इसके पीछे उनकी खुद की मेहनत है, जिसके लिए वे शाबाशी के पात्र हैं. सरकार की लापरवाही से 2013-14 में वहां जीरो सेशन रहा, 2014-15 में 8 महीने बाद नामांकन हो पाया. 2015-16 में भी नामांकन नहीं हो पाया है. दरअसल इस बार के परीक्षा परिणाम से सरकार की शिक्षा के प्रति उपेक्षा की पोल खुली है.
{साभार: DNMS, सीवान}   

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