Chhapra/Sonpur:वै से तो यह मेला विश्व में एशिया के सबसे बड़े पशु मेला के रूप में प्रसिद्ध रहा है. लेकिन बदलते परिवेश और नए कानूनों के मद्देनजर अब अधिकतर जानवरों की खरीद बिक्री पर लगी पाबंदी के बाद मेले का स्वरूप बदला है.
मेला में दूर दूर से सैलानी हाथी देखने और उसकी सवारी करने पहुंचते थें, लेकिन प्रतिबंधों के कारण अब हाथी समेत कई जानवर मेले में खरीद बिक्री के लिए नहीं लाए जाते. जिससे पशु मेला अब केवल मवेशी और घोड़ों तक ही सीमित रह गया है.
इस बार 2 साल बाद मेला लगा है. मेले में व्यापारी पहुंचें हैं, कई अच्छे नस्ल के घोड़ों के साथ मेले की शोभा बढ़ा रहें हैं. मेला में घोड़ों की रेस कराई जाती है जिसमे शामिल होने के लिए सवार अपने अपने घोड़े को तैयार करते हैं.
मेला में आसपास के जिलों से लेकर राजस्थान और गुजरात के पशु पालक और व्यापारी पहुंचें हैं. जिनके पास अच्छी नस्ल के घोड़े हैं. इन घोड़ों की कीमत 5000 रुपए से लेकर 12 लाख तक की है.
अच्छे नस्ल के सुंदर और रेस में माहिर घोड़ों की लोग मांग करतें हैं. इनकी कीमत भी उसी हिसाब से तय की जाती है. मेला में पहुंचा है “साधु उर्फ तूफान” घोड़ा, रेस जीतने में माहिर है. A valid URL was not provided.