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कागजी शेर को मिला बिहार मे तीसरा स्थान

सीवान(DNMS,नवीन सिंह परमार की रिपोर्ट) : राज्य स्वास्थ्य समिति ने कम समय में आम आदमी को बेहतर सेवा देने के लिए सीवान सदर अस्पताल को प्रदेश मे तीसरा स्थान देते हुए तीन लाख का सान्तवना पुरस्कार दिया है. राज्य स्वास्थ्य समिति का यह पुरस्कार अंधा में काना राजा पंक्ति को चरितार्थ कर रहा है. मालूम हो की चार बार सदर अस्पताल का जांच करने के बाद यह पुरस्कार मिला है. इससे साफ जाहिर होता है की जांच करने वाले अंधे ही नही बहरे भी थे. सीवान सदर अस्पताल का बद से बदतर स्थिति न कोई डॉक्टर ओपीडी में समय से बैठते है न ही ओपीडी के मरीजो का अस्पताल में कोई जांच होता है. कहने के लिए यहां सभी प्रकार के जांच होते है लेकिन सच्चाई यह है की एचआईवी, सुगर व एक्सरे को छोड़ सभी मशीन हमेशा खराब रहता है. रोगी प्राइवेट मे जांच कराते है.
डॉक्टर के बदले कम्पाउण्डर देखते है मरीज

सीवान सदर अस्पताल मे पदस्थापित अधिकांश डॉक्टरों के बदले इमरजेंसी व ओपीडी मे उनके कम्पाउण्डर रोगियों के इलाज करते है. ऐसा नही है की अस्पताल उपाधीक्षक व सिविल सर्जन इससे अनभिज्ञ है. अस्पताल के एक चिकत्सक का कहना है की जिन चिकत्सकों का निजी प्रैक्टिस अच्छा चलता है वे न समय से ओपीडी में बैठते है न इमरजेंसी में. अगर आये तो आधा एक घंटे में चले जाते है. ऐसे डॉक्टर अधिकारी से सेटिंग कर लिए है. जिन डॉक्टरों का निजी प्रैक्टिस नही चलता है वही ओपीडी, इमरजेंसी मे बैठे मिलते है.

मेडिकल बनाने के नाम पर होता है शोषण

सीवान सदर अस्पताल मे जिन युवकों के कड़ी मेहनत के बाद अगर कही नोकरी हो रही है तो उनको मेडिकल फिटनेश प्रमाण पत्र बनवाने के नाम पर खूब शोषण हो रहा है. 26 मार्च को स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर मे क्लर्क पद पर योगदान करने के लिए सिविल सर्जन से मेडिकल फिटनेश बनवाने आये एक युवक को ईएनटी के डॉक्टर के पास उनके निजी क्लीनिक में भेजा गया क्योंकि डॉ महाशय ओपीडी मे नही थे, वे श्रीमान अपने निजी क्लीनिक पर थे. जब युवक वहां गया तो उससे सात सौ रुपया लेकर डॉक्टर साहब आँख कान का फिटनेश लिखे. अन्य जांच के लिए बाहर कराने की राय दे दिए. जब इस सम्बन्ध मे सिविल सर्जन डा0 शिवचन्द झा से शिकायत हुई तो वे अस्पताल उपाधीक्षक से मिलने का सलाह दिए. जब युवक सदर अस्पताल के उपाधीक्षक से मिलने गया तो वे ओपीडी से निकलकर अपने आवास पर रोगी देखने मे मशगूल थे. युवक से काम पूछ कह दिए की सोमवार को आईये. बाहर से जांच करा कर आइएगा रिकार्ड मे चढ़ा कर बना दिया जायेगा.
यह हाल है प्रदेश के तीसरे सर्वश्रेष्ठ अस्पताल का.
दलालों का अड्डा बना अस्पताल

सीवान सदर अस्पताल दलालों का अड्डा बन गया है. इमरजेंसी से लेकर महिला वार्ड तक दलालों का बोलबाला है. इमरजेंसी, महिला वार्ड में जैसे कोई रोगी आते है तभी दलाल रोगीयों के परिजनों को अस्पताल मे खराब इलाज की बात कह परिजन को डरा कर प्राइवेट मे भर्ती करा देते है. यही नही पटना लेकर जाने वाले मरीज को एम्बुलेन्स की ड्राइवर पीएमसीएच में खराब इलाज की बात कह निजी नर्सिंग होम मे भर्ती करा दलाल काफी पैसा कमाते है.

क्या कहते है जानकार

सीवान के एक प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता ने नाम नहीं छापने के शर्त पर बताया कि सीवान सदर अस्पताल मे भले बेहतर इलाज न हो लेकिन कागजी करवाई ससमय पूरा होत है. इसी वजह से इस अस्पताल को तीसरा स्थान मिला है.
वही जिले के एक वरिष्ठ पत्रकार ने बताया कि सीवान सदर अस्पताल के निचले स्तर से लेकर आला स्तर तक के अधिकारी मिले हुए है. इसी कारण शिकायत करने के वावजूद कोई करवाई नही होती है. उनका कहना है कि अस्पताल प्रशासन से स्थानीय कुछ मीडिया कर्मी भी मिले हुए है जो अस्पताल में चल अनियमितता को उजागर नहीं होने देते हैं. कुल मिलाकर एक बात स्पष्ट है कि सीवान सदर अस्पताल में चल रहे अनियमितता को छुपाने में राज्य स्वास्थ्य समिति, अस्पताल प्रशासन, स्थानीय जनप्रतिनिधि व स्थानीय मीडिया बराबर के भागीदार है, और ये चारों लोग मिल कर बद से बदतर अस्पताल को प्रदेश का तीसरा सर्वश्रेष्ठ अस्पताल के बना दिया है.

साभार: देवर्षि नारद मीडिया सर्विसेज

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