Patna: राज्य सरकार शराब के बाद खैनी पर भी प्रतिबंध लगाने का विचार कर रही है.इस प्रतिबंध की सुगबुगाहटें शुरू हो चुकी है. हालांकि इस सुगबुगाहट को तय भी माना जा रहा है सरकार खैनी की बंदी को लेकर एक कानून बनाने के चक्कर मे है.
मुख्यमंत्री नीतीश जल्द ही राज्य में खैनी के बेचने और खाने पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रही है. अगर सबकुछ ठीक रहा, तो आने वाले समय में बिहार से खैनी गायब हो जाएगी.
तंबाकू नियंत्रण के क्षेत्र में राज्य सरकार को तकनीकी सहयोग प्रदान कर रही संस्था सोशियो इकोनोमिक एंड एजुकेशनल सोसाइटी ने खैनी पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है. राज्य सरकार खैनी को खाद्य सामग्री की श्रेणी में लाए और फिर इसे फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट-2006 के तहत प्रतिबंधित करे. इसी एक्ट के तहत राज्य में गुटखा एवं पान मसाले को प्रतिबंधित किया गया है. प्रदेश में 25.6 प्रतिशत लोग धुआंरहित तंबाकू का सेवन करते हैं. इनमें सबसे अधिक संख्या खैनी खाने वालों की है.
राज्य सरकार ने केंद्र को एक पत्र लिखा है. पत्र में खैनी को खाद्य उत्पाद के रूप में सूचित करने का अनुरोध किया गया है. खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण द्वारा खाद्य उत्पाद के रूप में अधिसूचित किए जाने के बाद सरकार के पास स्वास्थ्य आधार पर खैनी पर प्रतिबंध लगाने की शक्ति होगी. केंद्र सरकार को एक पत्र लिखा है.
बिहार में हर पांचवां आदमी खैनी का इस्तेमाल करता है. अब तो जो नियम है वो सिगरेट के रूप में तंबाकू के उपयोग को नियंत्रित करते हैं, लेकिन खैनी की खपत ज्यादा है जिस पर ध्यान देने की जरूरत है.
उन्होंने यह भी कहा कि बिहार में तंबाकू की खपत में कुल मिलाकर गिरावट दर्ज हुई है.पिछले सात साल में तंबाकू की खपत की 53 प्रतिशत से घटकर 25 प्रतिशत हो गई है. हालांकि, खैनी का सेवन करने वाले लोगों की संख्या चिंताजनक है.यह भी देखने को मिल रहा है कि मुंह में कैंसर होने के पीछे खैनी ही प्रमुख कारण रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इस ओर लोगों को ध्यान आकर्षित किया है. संस्था का कहना है कि खैनी की वजह से कैंसर, फेफड़े और दिल से संबंधित बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है.