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बिहार में अपनी जमीन पर लगाइये 200 पौधे, 480 दिनों की मजदूरी के साथ सरकार देगी चापाकल

पटना: राज्य का हरित आवरण बढ़ाने में सरकारी जमीन की कमी को पूरा करने के लिए निजी जमीन पर पौधारोपण को बढ़ावा देने की योजना को सफल बनाने के लिए राज्य सरकार कई सहूलियतें दे रही है. कोई किसान या जमीन मालिक अपनी जमीन पर पौधे लगवायेगा, तो उसकी देखभाल के लिए भी मनरेगा से श्रमिक दिये जायेंगे. यही नहीं, सिंचाई के लिए पौधारोपण वाली जगह पर सरकार चापाकल भी लगायेगी.

मुख्यमंत्री ने सभी विभागों को राज्य में हरित आवरण को 15% से बढ़ा कर 17% करने का लक्ष्य दिया हुआ है. ग्रामीण विकास विभाग को भी इस साल मनरेगा के तहत दो करोड़ पौधे लगाने हैं. इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए विभाग ने निजी जमीन पर अधिक-से-अधिक पौधे लगाने के लिए सुविधाओं का एलान किया है. आम, लीची, जामुन, कटहल, आंवला, बेल, नींबू, अमरूद आदि के 200 पौधे लगवाने वाले परिवार को एक इकाई माना जायेगा.

यदि किसी एक परिवार के पास 200 पौधे लगवाने की जमीन नहीं है, तो दो से तीन किसान मिलकर एक इकाई पूरी कर सकते हैं. दो से अधिक इकाइयों को क्लस्टर एरिया माना जायेगा. इससे छोटे किसानों को खूब लाभ मिलेगा. निजी भूमि पर लगाये गये पौधों की सुरक्षा के लिए सरकार गेबियन के साथ ही सिंचाई का भी इंतजाम करेगी.

चापाकल अथवा ट्रॉली से पटवन की सुविधा दी जायेगी. निजी जमीन की दो इकाइयों के क्लस्टर यदि 200 मीटर की दूरी के अंदर हैं, तो उनके लिए एक चापाकल का प्रावधान किया जायेगा. लोग अधिक-से-अधिक पेड़ लगवाएं, इसलिए इस नियम को भी लचीला बनाया गया है. यदि निजी जमीन पर क्लस्टर नहीं है, तो 200 पेड़ों (एक इकाई ) पर भी एक चापाकल लगाया जायेगा.

पेड़ों की अच्छे से देखभाल हो सके, इसके लिए मजदूरी दी जायेगी. ग्रामीण विकास विभाग ने तय किया है कि निजी भूमि पर लगाये गये एक इकाई के पौधों की देखरेख के लिए अगले पांच वर्ष तक हर महीने आठ मानव दिवस की मजदूरी मनरेगा योजना से दी जायेगी.

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