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सरकार तेजस चला रही है, यहां राजधानी को 15 किलोमीटर पहुंचने में लगता है 73 मिनट

बेगूसराय (एजेंसी): देश के विकास को गति देने में जुटे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार यातायात सेवा को नई गति देने के लिए ”गतिशक्ति” योजना चला रही है। तेजस और बुलेट ट्रेन योजनाओं पर तेजी से काम चल रहा है।

रेलवे की आधारभूत संरचना में आमूलचूल परिवर्तन कर दिया गया है। लेकिन सरकार के सारे प्रयासों के बावजूद रेलवे अधिकारियों की असंवेदनशीलता के कारण राजधानी एक्सप्रेस जैसी देश की महत्वपूर्ण प्रिमियम ट्रेन को 15 किलोमीटर की दूरी तय करने में 73 मिनट लग रहे हैं। सीमांचल से कोयलांचल की लाइफ लाइन कोशी एक्सप्रेस तीन किलोमीटर की दूरी 30 मिनट में तय करती है।

इन सबसे बेहतर तो कटिहार-सोनपुपुर पैसेंजर ट्रेन है जो बेगूसराय से 15 किलोमीटर दूर बरौनी मात्र 80 मिनट में ही पहुंच जाती है। सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि रेलवे द्वारा दो स्टेशनों के बीच ट्रेनों का यह लूज टाइमिंग ऐसे जगह किया गया है, जहां सभी प्रकार के वाहन मालिकों को काफी फायदा हो। दैनिक रेल यात्री संघ के मुकेश विक्रम एवं रामसेवक स्वामी ने बताया कि डिब्रूगढ-नई दिल्ली सुपरफास्ट द्विसाप्ताहिक 20505 एवं 20506 राजधानी एक्सप्रेस बेगूसराय-बरौनी-हाजीपुर-बलिया-जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के क्षेत्र गाजीपुर एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी होते हुए लखनऊ-बरेली-मुरादाबाद रुट से नई दिल्ली आती-जाती है।

110 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाली देश के इस महत्वपूर्ण ट्रेन को बेगूसराय से बरौनी की 15 किलोमीटर दूरी तय करने में 73 मिनट लग जाता है। बेगूसराय से हाजीपुर के बीच 103 किलोमीटर जाने के लिए तीन घंटे का समय निर्धारित कर लूज टाईमिंग कर दिया गया है। जबकि यह रूट कुछ किलोमीटर को छोड़ कर डबलिंग विथ इलेक्ट्रिफायड हो चुका है। छपरा-वाराणसी सेक्शन भी डबलिंग विथ इलेक्ट्रिफायड का बहुत काम हो चुका है, लेकिन छपरा से लखनऊ 507 किलोमीटर जाने में आठ घंटा लग रहा है। लखनऊ-नयी दिल्ली रुट पुरी तरह से डबलिंग विथ इलेक्ट्रिफायड है, लेकिन इस 491 किलोमीटर जाने में राजधानी जैसी सुपरफास्ट ट्रेन को आठ घंटा लग रहा है।

रेलवे से जुड़े लोगों का कहना है कि रेल अधिकारी सिंगल लाईन वाले टाईम टेबल से ट्रेनें चला रहे हैं, रेल अधिकारी समय सारणी की समीक्षा नहीं कर रहे हैं। जब राजधानी एक्सप्रेस जैसी ट्रेन 20 घंटे में बेगूसराय स्टेशन से नई दिल्ली पहुंचती है तो और ट्रेन को कौन पूछता है। यह तो थी देश की प्रीमियर ट्रेन की हालत, लेकिन राज्य की राजधानी से सुदूरवर्ती क्षेत्र को जोड़ने वाली ट्रेनों की हालत भी कम बदतर नहीं है। सीमांचल को फरकिया होते हुए बिहार की राजधानी पटना एवं कोयलांचल रांची को जोड़ने वाली 18625 कोसी एक्सप्रेस की हालत भी बदहाल है।

यह ट्रेन खगड़िया से बेगूसराय की 40 किलोमीटर की दूरी मात्र 42 मिनट में तय कर लेती है, लेकिन बेगूसराय से 25 किलोमीटर हाथीदह जाने में 81 मिनट लग जाते हैं। जबकि राजेन्द्र नगर टर्मिनल से पटना जंक्शन की तीन किलोमीटर की दूरी तय करने में 30 मिनट का समय लगता है, बराबर इस ट्रेन से यात्रा करने वाले लोग राजेन्द्र नगर में ही उतर कर ऑटो से पटना जंक्शन एवं कार्यालय चले जाते हैं, लेकिन नए लोगों का काफी समय बर्बाद हो जाता है। आश्चर्यजनक तो यह है कि यही ट्रेन पटना से पुनपुन की 13 किलोमीटर की दूरी मात्र 16 मिनट में तय कर लेती है।

पटना जाने वाले यात्रियों की भीड़ को देखते हुए रेल मंत्रालय द्वारा सहरसा-बेगूसराय-पटना राज्यरानी सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन चलाई जा रही है। यह ट्रेन खगड़िया से 40 किलोमीटर दूर बेगूसराय 26 मिनट में पहुंच जाती है, लेकिन बेगूसराय से मात्र 34 किलोमीटर मोकामा जाने में 60 मिनट लगते हैं। हाजीपुर-बरौनी-कटिहार रेलखंड पर चलने वाली कटिहार-सोनपुर मेमू पैसेंजर बेगूसराय से 15 किलोमीटर दूर बरौनी जंक्शन मात्र 80 मिनट में पहुंचती है, तो बरौनी जंक्शन से बरौनी फ्लैग की दो किलोमीटर दूरी तय करने में दस मिनट लग जाते हैं।

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