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नियोजित शिक्षकों को मिल सकता है चुनावी तोहफ़ा, सेवा शर्त के साथ मिलेगी अन्य सुविधाएं!

Patna: राज्य के चार लाख शिक्षकों को सरकार चुनावी तोहफ़ा देने की तैयारी में है. शिक्षकों की लंबित सेवा शर्त निर्माण कार्य मे तेजी आई है. सेवाशर्त में कई ऐसे अहम बिंदु है जो शिक्षकों के लाभदायक साबित हो सकते है. हालांकि सरकार अब भी समान काम समान वेतन देने के मूड में नही है. बावजूद इसके चुनाव वर्ष में अंत समय मे सरकार शिक्षकों को खुश करने के लिए घोषणा कर अपने पक्ष में करने की तैयारी में भी है.

शिक्षकों अपनी मांगों को लेकर कई बार धरना प्रदर्शन कर चुके है लेकिन सरकार भी अपनी बातों पर कायम है. चुनावी वर्ष में एक बार फिर नियोजित शिक्षकों का मुद्दा सरकार के लिए अहम दिख रहा है. आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए वर्षो से लंबित सेवाशर्त कमिटी को पुनर्गठन किया गया. साथ ही पुनर्गठित कमिटी की बैठक भी हुई. जिसमे जल्द से जल्द शिक्षकों की सेवाशर्त की ड्राफ्टिंग तथा सरकार से अनुमोदन करने की सक्रियता दिख रही है.

सूत्रों की माने तो सरकार नियोजित शिक्षकों की नियमितीकरण को छोड़कर अन्य मुद्दों पर सेवाशर्त की तैयारी में है. सबसे अहम मुद्दा स्थानान्तरण का है जो पूर्ण हो सकता है. हालांकि स्थानांतरण की प्रक्रिया को लेकर नियोजन नियमावली में संशोधन की जरूरत पड़ेगी.लेकिन गठित कमिटी इसपर केंद्रित है. सूत्रों के अनुसार जिला स्तर पर एक नियोजन कमिटी कर जिले के अंदर स्थानांतरण की तैयारी में है.

वही शिक्षकों को एसीपी और सेवांत लाभ भी देने की तैयारी में सरकार जुटी है. इसके अलावे ईपीएफ, ग्रेच्युटी, ग्रुप इंसोरेंस सहित प्रोन्नति के अवसर प्रदान करने के लिए भी कमिटी द्वारा सेवाशर्त में समाहित किया जा रहा है. सरकार की नई कमिटी इस तैयारी में है कि जल्द से जल्द इस सेवाशर्त को अंतिम रूप दिया जा सकें. वही विश्वस्त सूत्रों के अनुसार यह तय माना जा रहा है कि नियोजित शिक्षकों की सेवाशर्त को 15 अगस्त के दिन सरकार घोषणा कर सकती है.

बहरहाल यह सरकार की नीति है. चुनावी माहौल में शिक्षकों को क्या मिलेगा और नही मिलेगा जिसपर अंतिम निर्धारण सेवाशर्त प्रकाशन के बाद ही मालूम चलेगा.लेकिन इतना तय है कि सरकार 2015 की तरह 2020 में भी नियोजित शिक्षकों के लिए चुनावी घोषणा कर खुश करने की तैयारी में है. राज्य में करीब 4 लाख शिक्षकों की संख्या है और इन 4 लाख शिक्षकों पर 15 से 20 लाख लोग आश्रित है. इस संख्या बल के आधार पर चुनाव वोटिंग में इनका अहम योगदान रहता है.

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