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बिहार: बीते 40 साल से चल रही ललित नारायण मिश्र हत्याकांड की जांच

-जिन आनंदमार्गियों पर हत्या का आरोप लगा था, उन्हें बचाने को ललित बाबू की पत्नी ने लिखा था पत्र
-ललित बाबू पहले कैबिनेट मंत्री थे, जिनकी हत्या हुई
-अब सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को छह महीने का वक्त दिया
पटना (Agency): इंदिरा गांधी सरकार में रेल मंत्री रहे स्व. ललित नारायण मिश्र की बुधवार को जयंती थी। वे आजाद भारत के पहले ऐसे केंद्रीय मंत्री थे, जिनकी हत्या कर दी गई थी। उनकी हत्या अबतक पहले बनी हुई है। उनका जन्म दो फरवरी 1923 को हुआ था। तीन जनवरी 1975 को उनकी हत्या कर दी गई थी। उनकी हत्या का आरोप आनंदमार्गियों पर लगा था लेकिन ललित बाबू की पत्नी ने गृह मंत्री को पत्र देकर कहा था कि हत्या में आनंदमार्गियों का हाथ नहीं है। कोर्ट में 40 साल से केस चल रहा है लेकिन फैसला नहीं आ सका।

ललित नारायण मिश्र पर समस्तीपुर रेलवे स्टेशन पर दो जनवरी को बम फेंका गया था। इसके बाद तीन जनवरी 1975 को उनकी मौत हो गई थी। उस दिन रेल मंत्री ललित नारायण मिश्रा को समस्तीपुर से मुजफ्फरपुर के बीच बड़ी लाइन का उद्घाटन करना था। शाम का वक्त था और वे समय पर मंच पर पहुंच गए थे। छोटे भाई जगन्नाथ मिश्रा सहित अन्य कई नेता मंच पर थे। ललित बाबू ने रेलवे की उपलब्धियां गिनाईं, भाषण पूरा किया और मंच से उतर ही रहे थे कि भीड़ से किसी ने बम फेंक दिया।

इसमें ललित बाबू समेत उनके भाई जगन्नाथ मिश्रा, एमएलसी सूर्यनारायण झा समेत 29 लोग जख्मी हो गए थे। ललित बाबू के साथ तत्कालीन एमएलसी सूर्यनारायण झा और रेलवे क्लर्क रामकिशोर प्रसाद की भी मौत बम कांड में हो गई। पटना के दानापुर अस्पताल में दूसरे दिन तीन जनवरी को उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।

दो जनवरी को समस्तीपुर रेलवे पुलिस ने एफआईआर दर्ज किया था। जांच की जवाबहेदी सीआईडी को सौंप दी गई, लेकिन फिर इस मामले को सीबीआई को दे दिया गया। बताया जाता है कि ललित बाबू की मौत की जांच इतनी लंबी चली की वह 11 हजार पेज के दस्तावेज में तब्दील हो गई। दो दर्जन जजों ने सुनवाई की। इस हाईप्रोफाइल मर्डर मिस्ट्री को सुलझाने में 39 साल 11 महीने 16 दिन लग गए। 1977 में कर्पूरी ठाकुर जब बिहार के मुख्यमंत्री थे उन्होंने इस मामले की जांच की जिम्मेदारी एम ताराकुंडे को दी। ताराकुंडे ने अपनी रिपोर्ट में साफ कहा कि सीबीआई ने जिन लोगों को आरोपी बनाया है वे बेगुनाह हैं।

पत्नी ने कर्पूरी ठाकुर को पत्र लिखा था कि आनंदमार्गियों का हाथ इसमें नहीं, नए सिरे से जांच हो। मई 1977 में ललित बाबू की पत्नी कामेश्वरी देवी ने तत्कालीन गृह मंत्री चौधरी चरण सिंह को पत्र लिखा और मांग की कि मामले की नए सिरे से जांच शुरू कराई जाए। पत्र में उन्होंने यह भी लिखा कि पुलिस ने आनंद मार्ग के जिन लोगों को गिरफ्तार किया है वे निर्दोष हैं और उन्हें रिहा कर दिया जाए।

पौत्र वैभव मिश्रा की अपील के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से 6 माह में जवाब मांगा। उनके पौत्र ऋषि मिश्रा विधायक भी रह चुके हैं और कांग्रेस नेता हैं। वे कहते हैं कि मेरी दादी यानी ललित नारायण मिश्रा की पत्नी मानती रही कि उनकी हत्या में आनंदमार्गियों का हाथ नहीं है। इसलिए इस मामले की जांच निष्पक्ष तरीके से की जाए कि हत्या किसने करवाई। उन्होंने बताया कि ललित बाबू के पौत्र वैभव मिश्रा सुप्रीम कोर्ट में वकील हैं और उन्होंने भी कोर्ट में इसकी निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है और पहले जो कमेटी बनी है उस आलोक में जांच की जाए। कोर्ट ने सीबीआई से छह माह में जवाब तलब किया है।

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