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मिट्टी तेल के आवंटन में भारी कटौती, ग्रामीण इलाकों में पड़ेगा असर

Patna: बिहार सरकार ने एक बार फिर से राज्य में मिट्टी तेल के आवंटन में बड़ी कटौती की है. इसके पीछे बिजली की उपलब्धता बढ़ने की सफाई दी जा रही है, लेकिन सूबे के कई जिलों और गावों के लोगों पर इसका प्रभाव पड़ेगा जो आज भी मिट्टी तेल पर थोड़े बहुत निर्भर हैं. पहले प्रत्येक परिवार को 2.75 लीटर किरासन प्रतिमाह मिलता था, जिसे घटाकर 1.50 लीटर कर दिया गया.

यह कटौती लागतार पिछले पिछले चार साल से हो रही है. और इस बार हाल के महीनों में ही 500 प्रतिशत से अधिक की कटौती तो कर दी गई. वर्ष 2015-16 की पहली तिमाही में जहां एक लाख 99 हजार 176 किलोलीटर आवंटन केन्द्र सरकार करती थी. वहीं, वर्ष 2018-19 के पहली तिमाही (अप्रैल से जून माह) में मात्र 83 हजार 148 किलोलीटर किरासन का आवंटन किया गया है. यानी चार साल में एक लाख 16 हजार 928 किलोलीटर की कटौती. एक किलोलीटर में 12 हजार लीटर किरासन आता है. इस भारी कटौती के बाद जो मामूली किरासन मिलता भी है, वह मिलावट कालाबाजारियों की भेंट चढ़ जाता है.

वर्ष 2015-16 में 2 करोड़ 15 लाख 75 हजार 493 ग्रामीण परिवारों को इसका लाभ मिलता था, वहीं, चालू वित्तीय वर्ष में कटौती के कारण यह संख्या घट कर एक करोड़ 47 लाख 76 हजार 114 हो गई है.

दूसरी ओर सरकारी ने दावा किया है कि जिला मुख्यालयों व प्रखंडों में बिजली की उपलब्धता हाल के महीनों में बढ़ी है. हकीकत यह है कि अब सैकड़ों गांवों के गरीबों के पास गैस कनेक्शन नहीं है. पर्याप्त बिजली भी नहीं पहुंची है. जबसे सरकार ने प्रत्येक परिवार मात्र डेढ़ लीटर प्रति माह आपूर्ति की व्यवस्था की, तब से किरासन की खपत दूसरे कार्यों में होने लगी. खासकर पेट्रोल-डीजल आदि में मिलावट में उसका भरपूर इस्तेमाल हो रहा है.

 

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