बिहार में शिक्षक नियामावली पर सरकार और शिक्षक संघ आमने-सामने

बिहार में शिक्षक नियामावली पर सरकार और शिक्षक संघ आमने-सामने

पटना, 23 मई (हि.स.)। नीतीश सरकार की शिक्षक बहाली नियामावली-2023 को लेकर लगातार शिक्षक संघ विरोध कर रहे हैं। इसके पास होने के बाद से ही राज्यभर के 38 जिला मुख्यालयों पर दो बार शिक्षक संघ ने अपना विरोध जताया है।

बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष डॉ. सुरेश प्रसाद राय ने हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत में कहा कि अध्यापक नियुक्ति नियमावली-2023 में जो नियुक्ति का प्रावधान किया गया है वह पंचायती राज व्यवस्था में पूर्व से नियुक्त शिक्षकों एवं पुस्तकालयाध्यक्षों पर लागू नहीं होनी चाहिए। क्योंकि, इसी सरकार के शिक्षक नियोजन नियमावली 2006, 2008 क्रमशः 2020 यथा संशोधित प्रावधानों के तहत उनकी नियुक्ति हुई है।

डॉ सुरेश ने कहा कि दुनिया में ऐसा कोई कानून नहीं है, जिसमें समान पद पर नियुक्त व्यक्ति को फिर किसी अन्य पद्धति के द्वारा उसी पद पर नियुक्त किया जाए। इसलिए बिहार सरकार 2006 से नियुक्त शिक्षकों एवं पुस्तकालयाध्यक्षों को पहले राज्य कर्मी घोषित करे। इसके बाद लोक सेवा आयोग द्वारा शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया प्रारंभ करे। जिस तरह पदवर्ग समिति ने तथाकथित वेतनमान घोषित किया वह राज्यकर्मी के किसी संवर्ग की वेतन संरचना नहीं है।

डॉ सुरेश ने कहा कि सरकार के इस अविवेकी निर्णय से एक ही विद्यालय में तीन तरह के शिक्षक काम करेंगे जो हास्यास्पद है। यह सरकार अपनी चुनावी घोषणा पत्र से पीछे हट रही है। शिक्षकों को और असंतुष्ट करके संपूर्ण शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त करना चाहती है।

सरकार ने विरोध करने वाले शिक्षकों को दी चेतावनी

बीते 16 मई को बिहार सरकार ने एक अजीबोगरीब आदेश निकाला। इस आदेश के अनुसार अध्यापक नियुक्ति नियमावली के विरोध में आंदोलन करने पर आंदोलनकारी शिक्षकों पर कार्रवाई की जायेगी। बिहार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने इस आशय का पत्र सूबे के सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को लिखा है।

पत्र में दीपक कुमार सिंह लिखते हैं कि समाचार पत्रों व सोशल मीडिया के माध्यम से यह समाचार प्रकाशित होते रहते हैं कि वर्तमान में कार्यरत स्थानीय निकाय के शिक्षकों द्वारा नई नियुक्ति नियमावली के विरोध में धरना-प्रदर्शन किया जाएगा। इस संबंध में यह सुनिश्चित करें कि यदि कोई भी स्थानीय निकाय से नियोजित शिक्षक या अन्य कोई भी सरकारी कर्मी नियुक्ति नियमावली के विरोध में किसी भी प्रकार के धरना प्रदर्शन या अन्य सरकार विरोधी कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं, तो उनके विरुद्ध नियमानुकूल कार्रवाई अविलम्ब सुनिश्चित किया जाए।

क्या है शिक्षक नियमावली -2023

इस नियमावली के तहत अब बिहार में स्कूल शिक्षकों के सभी पदों को सीधी नियुक्ति से भरे जायेंगे। इसके लिए परीक्षा ली जाएगी। परीक्षा लेने की जिम्मेवारी बिहार लोकसेवा आयोग (बीपीएससी) को सौंपी गई है।

शिक्षकों की नियुक्ति के लिए रिक्त पदों के लिए पहले आवेदन पत्र भरना होगा। आवेदन स्वीकृत होने के बाद परीक्षा ली जाएगी। एक अभ्यर्थी अधिकतम तीन बार परीक्षा दे सकता है। इस प्रक्रिया से नियुक्त शिक्षक को राज्यकर्मी का दर्जा मिलेगा। फिलहाल, स्कूलों में कार्यरत नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा पाने के लिए दोबारा परीक्षा देनी होगी।

क्या कहते हैं शिक्षा मंत्री
शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने कहा कि अब शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाएगा। आकर्षक वेतन के साथ सभी सुविधाएं दी जाएंगी। जो नियोजित शिक्षक हैं उन्हें बीपीएसएसी के माध्यम से एक परीक्षा पास करनी होगी, फिर वे भी नियमित शिक्षक बन जाएंगे। सवा दो लाख के आसपास अभी शिक्षकों की भर्ती होगी और उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में तीसरे और चौथे श्रेणी में 40-50 हजार बहाली होगी।

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