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पटना में गंगा खतरे के निशान से ऊपर, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, सुपौल, कटिहार के निचले इलाकों में घुसा पानी

पटना, 12 अगस्त (हि.स.)। बिहार के कई जिलों में लगातार हो रही बारिश से नदियां उफान पर हैं। पटना के हाथीदह में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया है। किशनगंज और कटिहार में महानंदा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। सुपौल, दरभंगा और मुजफ्फरपुर में निचले इलाके बाढ़ की चपेट में हैं। नदी के आसपास के गांवों में पानी भर चुका है। मौसम विभाग के मुताबिक बिहार में 14 अगस्त तक दक्षिण पश्चिम मानसून के प्रभाव के चलते बारिश होती रहेगी।

पटना के हाथीदह में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया है। गांधी घाट का भी जलस्तर खतरे के निशान के करीब पहुंच गया है। हाथीदह में जलस्तर 42 मीटर पर पहुंच गया। यहां खतरे का निशान 41.76 मीटर है। गांधी घाट पर जलस्तर खतरे के निशान के लगभग बराबर हो गया। यहां खतरे का निशान 48.60 मीटर है जबकि जलस्तर 48.58 मीटर पर पहुंच गया है। भागलपुर के कहलगांव में भी गंगा का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया है।

नेपाल और बिहार में हो रही बारिश से सुपौल में कोसी नदी उफान पर है। तीन अनुमंडल के छह प्रखंडों के तीन दर्जन से ज्यादा गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है। बाढ़ का पानी, सड़क, खेत-खलियान, लोगों के घरों के आसपास फैला हुआ है। प्रशासन अलर्ट है। लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया जा रहा है। कटिहार में महानंदा नदी के जलस्तर में उतार-चढ़ाव के कारण लखनपुर पंचायत के बेलगच्छी गांव में आंशिक रूप से कटाव जारी है।

दूसरी तरफ गंगा नदी के किनारे बसे गांव पारदियारा पंचायत के झब्बू टोला और भवानीपुर खट्टी पंचायत के बबला बन्ना गांव में भी आंशिक रूप से कटाव जारी है। दरभंगा में भी पिछले तीन दिनों से हो रही बारिश की वजह से कमला नदी का जलस्तर बढ़ गया है। कमला नदी खतरे के निशान से 67.5 सेंटीमीटर ऊपर है। जिले के घनश्यामपुर और किरतपुर और कुशेश्वरस्थान के कई गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है, जिससे आवागमन बाधित है।

मुजफ्फरपुर में बागमती नदी उफान पर है। औराई और कटरा प्रखंड के कई निचले इलाकों में पानी घुस गया है। बागमती नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी से बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। जिला प्रशासन ने इसको लेकर अलर्ट जारी किया है। बकुची पावर हाउस स्टेशन में पानी घुस जाने के कारण कई गांवों में बिजली आपूर्ति बाधित हो गई है। बागमती नदी का जलस्तर खतरे के निशान से 145 सेंटीमीटर ऊपर है।

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