मंगल पांडेय को गिरफ्तार करने में कांप गए थे अंग्रेज अफसरों के हाथ

मंगल पांडेय को गिरफ्तार करने में कांप गए थे अंग्रेज अफसरों के हाथ

बलिया: आजादी के महानायक अमर शहीद मंगल पाण्डेय पहले ऐसे क्रन्तिकारी थे, जिन्होंने अंग्रेजी साम्राज्यवाद की चूलें हिला दी थीं। उनके बलिदान दिवस पर गुरुवार को जिले में जगह-जगह कार्यक्रम आयोजित किए गए।
मंगल पांडेय का जन्म बलिया जिले के नगवा गांव में 30 जनवरी 1831 को हुआ था। मंगल पाण्डेय सन 1849 में महज 18 साल की उम्र में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में शामिल हो गए थे। 1857 में उन्होंने अंग्रेजों के विरूद्ध विद्रोह कर दिया था। जिसके बाद पूरे देश में विद्रोह की ज्वाला धधक उठी थी। 
दरअसल, विद्रोह का प्रारम्भ एक बंदूक की वजह से हुआ। बंदूक भरने के लिये कारतूस को दांतों से काट कर खोलना पड़ता था और उसमे भरे हुए बारुद को बंदूक की नली में भर कर कारतूस को डालना पड़ता था। कारतूस के बाहरी आवरण में चर्बी होती थी जो कि उसे पानी की सीलन से बचाती थी। इधर, सिपाहियों के बीच अफवाह फैल चुकी थी कि कारतूस में लगी हुई चर्बी सुअर और गाय के मांस से बनायी जाती है।
बैरकपुर परेड मैदान कलकत्ता (अब कोलकाता) के निकट मंगल पाण्डेय ने 29 मार्च को रेजीमेण्ट के अफसर मेजर ह्यूस्टनपर हमला कर दिया। इसके बाद मंगल पांडेय को गिरफ्तार करने का आदेश दिया गया लेकिन जमादार ने मना कर दिया। सिवाय एक सिपाही शेख पलटू को छोड़ कर सारी रेजीमेण्ट ने मंगल पाण्डेय को गिरफ्तार करने से मना कर दिया। 
वहीं, मंगल पाण्डेय ने अपने साथियों को खुलेआम विद्रोह करने के लिये कहा लेकिन किसी के नहीं मानने पर उन्होने अपनी बंदूक से अपने प्राण लेने का भी प्रयास किया। हालांकि, वे इस प्रयास में केवल घायल हुए। छह अप्रैल 1857 को मंगल पाण्डेय का कोर्ट मार्शल कर दिया गया। आठ अप्रैल को उन्हें फांसी दे दी गयी। मंगल पांडेय के बलिदान दिवस पर जिले भर में कार्यक्रम आयोजित कर उन्हें नमन किया जा रहा है। शहर के कदम चौराहा स्थित मंगल पांडेय की प्रतिमा पर एसपी डा. विपिन ताडा ने माल्यार्पण कर सलामी दी।
हि.स.
0Shares
Prev 1 of 236 Next
Prev 1 of 236 Next

छपरा टुडे डॉट कॉम की खबरों को Facebook पर पढ़ने कर लिए @ChhapraToday पर Like करे. हमें ट्विटर पर @ChhapraToday पर Follow करें. Video न्यूज़ के लिए हमारे YouTube चैनल को @ChhapraToday पर Subscribe करें