Chhapra: बिहार में मानसून सक्रिय हो जाने से फिलहाल दो जुलाई तक बारिश होगा। मौसम विभाग ने अलर्ट जारी करते हुए लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है। आद्रा नक्षत्र में लगातार घूमड़ रहे बदरा के बरसते बारिश की बूंदों से लोगों को जहां भीषण गर्मी से राहत मिली है, वहीं धरती भी खिल उठी है। किसानों ने खेती का श्रीगणेश कर दिया है, धान के बिचड़े गिराए जा रहे हैं, जिन्होंने अगात बिचड़ा गिराया था वह रोपनी कर रहे हैं। बारिश ने गन्ना, सब्जी और घास को काफी फायदा पहुंचाया है। कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि मौसम सेवा द्वारा समय के अनुसार गुणवत्तापूर्ण खेती के लिए समसामयिक सुझाव (एडवाइजरी) जारी कर किसानों को जागरूक किया जा रहा है।
केंद्र के वरीय वैज्ञानिक और प्रधान डॉ. रामपाल ने बताया कि आषाढ़ की बारिश कृषि कार्य की श्रीगणेश करने का सर्वोत्तम समय है, अभी अलग-अलग क्षेत्रों में मध्यम से भारी बारिश तक की संभावना है। उन्होंने बताया कि जो किसान अब तक धान का बिचडा नहीं गिराए हैं वे जल्दी करें। धान की अगात किस्में प्रभात, धनलक्ष्मी, रिछारिया, साकेत-4, राजेन्द्र भगवती, राजेन्द्र नीलम तथा मध्यम अवधि की किस्में संतोष, सीता, सराज, राजेन्द्र सवासनी, राजेन्द्र कस्तुरी, कामिनी, सुगंधा उत्तर बिहार के लिए अनुशंसित है। 12 से 14 दिनों के बिचड़ा वाली नर्सरी से खर-पतवार निकालें। जिन किसानों के पास धान का बिचड़ा तैयार है वे निचले तथा मध्यम जमीन में रोपनी करें। धान की रोपाई के समय उर्वरकों का व्यवहार मिट्टी जांच के आधार पर करें। अगात एवं मध्यम धान के किस्मों की किसान सीधी बुवाई करना चाहते हैं तो खेत में ही धान को छिटकांवा विधि से सीधी बुआई करें। यदि खेत सूखा है तो सीडडील मशीन से या छिटकांवा विधि से बुआई कर सकते हैं। सूखे खेत में सीधी बुआई करने पर बुआई के 48 घंटे के अन्दर खर-पतवार नाशी दवा पेन्डिमेथीलीन 1.0 लीटर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। यदि बुआई के बाद बारिश शुरू हो जाती है तो पेन्डिमेथीलीन दवा का छिड़काव नहीं करें, वैसी हालत में बुआई के 10-15 दिनों के बीच में नामिनी गोल्ड (बिसपेरिबेक सोडियम 10 एस.सी.) दवा का 100 मि.ली. प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करना नहीं भूलें।