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बिहार में जातिगत जनगणना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका

नई दिल्ली: बिहार में जातिगत जनगणना के खिलाफ एक और याचिका दायर की गई है। नई याचिका हिंदू सेना ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि बिहार सरकार जातिगत जनगणना कराकर भारत की अखंडता एवं एकता को तोड़ना चाहती है।

हिंदू सेना की ओर से वकील मुदित कौल ने याचिका दायर की है। इसके पहले अखिलेश कुमार की ओर से एक और याचिका दायर की गई है। अखिलेश कुमार की याचिका में कहा गया है कि जातिगत जनगणना का नोटिफिकेशन संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। याचिका में जातिगत जनगणना के नोटिफिकेशन को रद्द करने की मांग की गई है।

याचिका में सात बिंदुओं को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष उठाया गया है। पहला कि क्या बिहार सरकार जातिगत जनगणना कराने की कार्यवाही करने जा रही है वह संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन है। दूसरा कि क्या भारत का संविधान राज्य सरकार को जातिगत जनगणना करवाए जाने का अधिकार देता है। तीसरा कि क्या 6 जून 2022 को बिहार सरकार के उप सचिव द्वारा जारी अधिसूचना जनगणना कानून 1948 के खिलाफ है। चौथा कि क्या कानून के अभाव में जाति जनगणना की अधिसूचना, राज्य को कानूनन अनुमति देता है।

पांचवां कि क्या राज्य सरकार का जातिगत जनगणना कराने का निर्णय सभी राजनीतिक दलों का एकसमान निर्णय है। छठा कि क्या बिहार जाति जनगणना के लिए राजनीतिक दलों का निर्णय सरकार पर बाध्यकारी है। सातवां कि क्या बिहार सरकार का 6 जून 2022 का नोटिफिकेशन सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच के अभिराम सिंह के मामले में दिए गए फैसले के खिलाफ है।

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