छपरा(संतोष कुमार ‘बंटी’): आमतौर पर हम सभी जानते है कि चिड़ियों का बसेरा पेड़ो पर बने घोंसले में होता हैं. बचपन से लेकर आजतक किताबों में भी हमने यही पढ़ा हैं. लेकिन यह बात भी सही है कि जहां मिले प्यार वही बने घर संसार.यह बात उन सभी जीवों पर लागू होती है जो इस कायनात के बाशिन्दे है.
छपरा से दिघवारा होकर अकिलपुर दियारा क्षेत्र के रास्ते दानापुर जाने वाली सड़क के किनारे प्रकृति का कुछ अलग ही स्वरूप देखने को मिला. गंगा नदी के दियारा इलाके में रेत के कटाव में बड़ी छोटी अनगिनत गोल दिखने वाली आकृति मिलेगी.
दूर से यह किसी बड़ी इमारत के खिड़कियों की तरह दिखती हैं. रेत में बनी यह गोल आकृतिया ही चिड़ियों का आशियाना है. जहां हजारों चिड़ियों की चहचहाहट सुनने और उनके उड़ान को भी देखने को मिलेंगे. शहर से अलग दियारा इलाके के रेत की टीलों में इनका यह आशियाना ओर इनका कलरव देखते ही बनता है.
आसपास के लोग बताते है कि प्रत्येक वर्ष इसी तरह इन चिड़ियों का आशियाना यहां बनता है. नदी किनारे जहां कई किलोंमीटर पेड़ पौधे नही है इसके बावजूद इन पक्षियों का झुंड 3 से 4 महीने तक रहता हैं. नदी में जलस्तर में वृद्धि की शरुआत होते ही इनका पलायन शुरू हो जाता हैं.
लेकिन जबतक नदी का जलस्तर कम रहता है यह पक्षी नदी के ऊपर उड़ते है नदी से ही छोटे छोटे कीड़े मकोड़ों को अपना भोजन बनाते हैं.
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