पटना: बिहार विधान सभा भवन के शताब्दी समारोह के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बिहार के गौरवशाली इतिहास की खूब चर्चा की है. राष्ट्रपति ने बिहार और उसके इतिहास की चर्चा करते हुए अपने आप को भावनात्मक रूप से बिहार के साथ जुड़ा हुआ बताया है.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने संबोधन में कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब मुझे बिहारी राष्ट्रपति कह कर संबोधित कर रहे थे, तो मैं अंदर से गदगद हो रहा था. बिहार से मेरा सिर्फ राज्यपाल होने तक का लगाव नहीं है, बल्कि मैं यहां आकर एक अलग जुड़ाव महसूस करता हूं. मैं जब बिहार आता हूं तो लगता है जैसे मैं अपने घर या गया हूं.
राष्ट्रपति ने बिहार को लोकतंत्र की जननी बताया और कहा कि बिहार का छठ पर्व अब ग्लोबल हो गया है. रामनाथ कोविंद ने छठी मैया को नमन करते हुए कहा कि बिहार की सांस्कृतिक विरासत भी काफी धनी रही है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने विधान सभा के सदस्यों और विधान परिषद के सदस्यों से अपील की कि वह बिहार के गौरव को बनाए रखने के लिए अपने आचरण से लगातार बेहतर योगदान करें.
देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद बिहार के थे और अगर मैं राजेंद्र बाबू की विरासत को आगे बढ़ा रहा हूं, तो इससे ज्यादा गर्व की बात मेरे लिए कुछ और नहीं हो सकती. उन्होंने राजेंद्र प्रसाद से लेकर अनुग्रह नारायण सिंह, श्री कृष्ण सिंह, सच्चिदानंद सिन्हा समेत अन्य विभूतियों और देश के लिए उनके योगदान की खूब चर्चा की.
उन्होंने कहा कि चंद्रगुप्त मौर्य से लेकर कर्पूरी ठाकुर के मुख्यमंत्री बनने तक बिहार की धरती ने समतामूलक समाज की स्थापना पर जोर दिया है. इस परंपरा को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आगे बढ़ा रहे हैं. शराबबंदी कानून की विशेष तौर पर चर्चा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि शराबबंदी कानून कमजोर वर्ग की महिलाओं के लिए कारगर और उपयोगी रहा है और तब मैं राज्यपाल के तौर पर बिहार में ही था.बिहार विधानसभा के सदस्यों के लिए राष्ट्रपति ने आह्वान किया कि सदन में लिए गए संकल्पों को सदस्यों को कार्यान्वित करें.
महाबोधि वृक्ष के पौधे का प्रत्यारोपण करने पर खुद को राष्ट्रपति ने सौभाग्यशाली बताया. राष्ट्रपति ने कहा कि बिहार प्रतिभावान लोगों की धरती है. रामनाथ कोविंद ने उम्मीद जतायी कि बिहार विधानसभा बिहार के विकास का स्वर्णिम अध्याय लिखेगा.
इससे पूर्व सीएम नीतीश कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि रामनाथ कोविंद जी राष्ट्रपति देश के हैं, लेकिन इन्हें हम बिहारी भी मानते हैं, क्योंकि राष्ट्रपति महोदय बिहार के राज्यपाल भी रहे हैं. इनका बिहार से गहरा लगाव रहा है. बिहार के लोगों के आग्रह को स्वीकार कर महामहिम ने कार्यक्रम में आने की रजामंदी दी थी, इसके लिए मैं उनको धन्यवाद देता हूं.
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