पटना: वर्ष 1999 में हुए सेनारी नरसंहार मामले में बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के खिलाफ अर्जी दाखिल की है।
राज्य सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर पटना हाईकोर्ट के उस फैसले को निरस्त करने की गुहार लगायी है जिसमें इस बर्बर हत्याकांड के सारे आरोपियों को बरी कर दिया गया था। हालांकि, बिहार सरकार ने अभी अर्जी दाखिल की है। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की तारीख तय नहीं हुई है।
उल्लेखनीय है कि सेनारी नरसंहार के मामले में पटना हाईकोर्ट ने 21 मई को फैसला सुनाया था। नरसंहार में निचली अदालत ने 13 लोगों को सजा सुनायी थी। 10 को फांसी की सजा मिली थी औऱ तीन को उम्र कैद। पटना हाईकोर्ट ने सबको बाइज्जत बरी कर दिया था औऱ सरकार को कहा था कि वह तमाम दोषियों को तत्काल जेल से रिहा कर दे।
सेनारी नरसंहार
बिहार के जहानाबाद के सेनारी नरसंहार को 18 मार्च 1999 की रात अंजाम दिया गया था। सेनारी गांव में हत्यारों ने 34 लोगों के हाथ-पांव बांधकर उनका गला रेत दिया था। इस नरसंहार ने पूरे देश में तूफान खड़ा कर दिया था।
सेनारी नरसंहार को प्रतिबंधित नक्सली संगठन माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर (एमसीसी) ने अंजाम दिया था। एमसीसी के सैकड़ों हत्यारों ने 18 मार्च 1999 की रात सेनारी गांव की घेराबंदी कर ली थी। औऱतों को घरों में ही बंद करके छोड़ दिया गया था। जिस औऱत ने भी अपने घर से मर्द को ले जाने का विरोध किया उसकी बर्बर पिटाई भी की गयी थी।
क्रूर हत्यारों ने सारे मर्दों को गांव के ही ठाकुरबाड़ी मंदिर के पास मैदान में इकट्ठा किया था उसके बाद उनके हाथ पैर बांध दिये गये फिर जानवरों को काटने वाले छूरे से उनके गले को रेत कर उनकी हत्या कर दी गयी. सेनारी हत्याकांड में सात लोग ऐसे खुशकिस्मत भी निकले थे जिनका गला रेते जाने के बावजूद उनकी जान नहीं गयी. वे गंभीर रूप से जख्मी हुए लेकिन बाद में इलाज में उनकी जान बच गयी।
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