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लगातार 15 दिन अनुपस्थित रहने वाले स्कूली बच्चों का नामांकन होगा रद्द, केके पाठक ने सिखाए 300 करोड़ बचाने के उपाय

लगातार 15 दिन अनुपस्थित रहने वाले स्कूली बच्चों का नामांकन होगा रद्द, केके पाठक ने सिखाए 300 करोड़ बचाने के उपाय आरडीडी, डीईओ, डीपीओ को दिया टास्क

PATNA: शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक शिक्षा व्यवस्था में सुधार को लेकर लगातार कदम उठा रहे हैं. इसका रिजल्ट भी दिखने लगा है. स्कूल की व्यवस्था से लेकर शिक्षक-छात्र उपस्थिति में जबरदस्त सुधार हुआ है. हालांकि केके पाठक इतने भर से खुश नहीं हैं. उन्होंने एक बार फिर से सभी जिलों के डीएम को पत्र लिखा है. पत्र में कहा गया है कि बच्चों की ट्रैकिंग करें कि कहीं सरकारी लाभ लेने के लिए कुछ बच्चे सरकारी स्कूल में नामांकन तो नहीं लेते हैं. अगर ऐसा है तो नामांकन रद्द करें. इससे 300 करोड़ रू की बचत हो सकती है.

पांच-पांच विद्यालय गोद लें आरडीडी, डीईओ और डीपीओ

बिहार के सभी जिलों के डीएम को भेजे पत्र में केके पाठक ने कई दिशा निर्देश दिए हैं. साथ ही सभी डीईओ-डीपीओ और आरडीडीई को पचास फीसदी से कम उपस्थिति वाले विद्यालयों को गोद लेने को कहा है. डीएम को लिखे पत्र में के पाठक ने कहा है कि 1 जुलाई 2023 से सभी सरकारी विद्यालयों में मॉनिटरिंग की व्यवस्था की गई है. इसके तहत लगातार विद्यालयों का निरीक्षण किया जा रहा है. जुलाई 23 से अब तक 50% से कम उपस्थिति वाले विद्यालयों की संख्या में लगातार कमी हो रही है .हालांकि अभी भी 10 फ़ीसदी ऐसे विद्यालय हैं जहां 50 फ़ीसदी से कम उपस्थिति है. यह चिंता की बात है.

15 दिन लगातार नहीं आते हैं तो नामांकन रद्द करें

केके पाठक ने कहा है कि अब समय आ गया है कि एक-एक विद्यालय में आरडीडी, डीईओ और डीपीओ को देखना होगा . हर एक छात्र-छात्रा एवं उनके अभिभावकों से बात करनी होगी. इसके लिए कई कदम उठाने होंगे. डीएम को कहा है कि अपने जिले के डीईओ एवं डीपीओ को पांच-पांच विद्यालय अडॉप्ट करने को कहें. जिस डीपीओ के क्षेत्र में कोई ऐसा विद्यालय नहीं हो जहां छात्रों की उपस्थिति 50 फ़ीसदी से कम है तो उन्हें कार्य क्षेत्र के बाहर का विद्यालय दें. इन विद्यालयों में पदाधिकारी प्रतिदिन जाएं. हर एक छात्र एवं उनके अभिभावकों से बात करें. जो छात्र तीन दिन लगातार अनुपस्थित रहे उसे प्रधानाध्यापक नोटिस दें. 15 दिन तक लगातार अनुपस्थित रहने पर छात्रों का नामांकन रद्द किया जाए.

तीन सौ करोड़ की होगी बचत

केके पाठक ने आगे कहा है कि हर एक छात्र की ट्रैकिंग की जाए. यह देखा जाए कि वह कहीं एक साथ दो विद्यालयों में तो नहीं पढ़ रहा है. ऐसे छात्र नाम कटने के डर से लगातार 15 दिन अनुपस्थित नहीं रहते हैं.बीच-बीच में विद्यालय आते रहते हैं. ऐसी शिकायत मिल रही है कि डीबीटी प्राप्त करने के लिए छात्र-छात्राओं ने सरकारी विद्यालयों में नामांकन ले रखा है. जबकि वह जिले से बाहर या फिर निजी विद्यालयों में पढ़ते हैं. कुछ छात्रों के बिहार से बाहर कोटा जैसी जगह पर रहकर पढ़ने की सूचना है. ऐसे में हर एक मामले की चाइल्ड ट्रैकिंग करें. इस तरह के छात्रों का नामांकन रद्द करें जो सिर्फ डीबीटी के लिए सरकारी विद्यालयों से जुड़े हैं. के के पाठक ने आगे कहा है कि प्रत्येक वर्ष सरकार विभिन्न तरह की योजनाओं पर 3000 करोड रुपए डीबीटी से सहायता देती है. यदि सिर्फ डीबीटी के उद्देश्य से स्कूल में नामांकन कराने वाले 10 फीसदी बच्चों का भी नामांकन रद्द हुआ तो राज्य को 300 करोड रुपए की सीधी बचत होगी.

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