Site icon | छपरा टुडे डॉट कॉम | #ChhapraToday.com

आर्थिक तंगी से 42 शिक्षकों की मौत, राज्य सरकार मौन : ब्रजवासी

Patna: नियमित शिक्षकों की भांति राज्यकर्मी का दर्जा और हूबहू सेवा शर्त की मांग को लेकर जारी शिक्षकों की हड़ताल जारी है. शिक्षको की हड़ताल 50 दिन के बाद भी जारी है. हड़ताली शिक्षकों के प्रति सरकार का उदासीन रवैया शिक्षकों के आंदोलन को गति प्रदान कर रहा है ऐसे में सबसे विकट समस्या उन शिक्षकों की है जो आर्थिक तंगी के कारण एक एक कार इलाज के अभाव में मौत की गाल में समा रहे है.सूबे में अबतक 42 शिक्षकों की मौत हो चुकी है. इन शिक्षकों की मृत्यु हड़ताल अवधि में हुई है. सरकार के उदासीन रैवये को देखते हुए परिवर्तनकारी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर ब्रजवासी ने महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग दिल्ली, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय भारत सरकार, राज्यपाल बिहार एवं मानवाधिकारी आयोग बिहार को पत्र भेजकर बिहार में आर्थिक तंगी के कारण हो रही शिक्षकों की मौत पर संज्ञान लेने का आग्रह किया है.इस संदर्भ में बंशीधर ब्रजवासी का कहना है कि राज्य के शिक्षक अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर है. कोरोना वायरस को लेकर जारी लॉक डाउन में सभी हड़ताली शिक्षक भी सरकार के निर्देशों का पालन कर रहे है. भारत सरकार ने निर्देश दिया कि इस लॉक डाउन अवधि में सभी सरकारी और निजी संस्थान में कर्मचारी को कर्तव्य पर मानते हुए उन्हें वेतन का भुगतान किया जाए. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य सरकार सभी के लिए राहत योजना एवं अन्य राहत की घोषणाएं कर रही है लेकिन राज्य के 4 लाख शिक्षको को लेकर किसी तरह के बयान नही दे रही है. नियोजित शिक्षकों की आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है. हालात यह है कि जो शिक्षक बीमार थे वह आर्थिक तंगी के कारण अपना इलाज नही करा पा रहे है. अपने परिवार के हालात सोंचकर कई शिक्षकों की ह्रदयघात से मृत्यु हो चुकी है.

राज्य में एक व्यक्ति की मौत कोरोना वायरस से हुई है. सरकार उनके प्रति जितनी सवेंदनशील दिख रही है वैसे राज्य के 42 शिक्षकों की मौत पर नही दिख रही. एक एक कार शिक्षक मौत के मुँह में जा रहा है लेकिन राज्य सरकार के रवैया उदासीन है. सरकार शिक्षकों के वेतन का भुगतान कर उन्हें इस आर्थिक तंगी से निजात दिलाये, शिक्षकों से वार्ता करें, उनकी मांगों पर पहल करें.

Exit mobile version