शिक्षा को जाति और बिहारी को धर्म बनाकर चुनाव में जनता को रिझाने उतरी प्लुरल्स पार्टी

शिक्षा को जाति और बिहारी को धर्म बनाकर चुनाव में जनता को रिझाने उतरी प्लुरल्स पार्टी


Patna: बिहार विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां अपने रणनीतिकारों के आधार पर तैयारी में है. चुनाव में गठबंधन और सीट शेयरिंग का मुद्दा भी अब समाप्त हो चुका है.

पार्टियों ने अपना प्रत्याशी चुन लिया है अब जनता की बारी है कि वो किसे चुनती है. बिहार के चुनाव में विकास और रोजगार के मुद्दे के साथ पूर्व से चले आ रहे जातिगत समीकरण भी हावी रहेंगे. जनता को लुभाने के लिए जिस पार्टी की रणनीति बेहतर होगी रिजल्ट भी उस पार्टी का बेहतर होगा. इन सब के बावजूद बिहार में चर्चित प्लुरल्स पार्टी ने इस बार अपने रणनीति में शिक्षा को जाति और बिहारी को धर्म बनाकर अपने प्रत्यासी की लिस्ट जारी की है. यह पहला मौका है जब किसी पार्टी ने किसी चुनाव में इस तरह का प्रयोग किया है. ख़ासकर उस जगह जहां जातिगत समीकरण के अनुसार प्रत्यासी तय किये जाते है.

पलूरल्स पार्टी ने अपने प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है. जिसमे प्रत्यासी के नाम के बाद उसकी जाति दिखाई गई है लेकिन उस जाति के कॉलम में उम्मीदवार का पेशा यानि डॉक्टर, इंजिनयर, सोशल वर्कर को जाति का दर्जा दिया गया है. ठीक उसी तरह धर्म मे बिहारी लिखा गया है.

बिहार चुनाव में यह प्रयोग एक ख़ास वर्ग को अपनी ओर आकर्षित कर सकती है. यह वर्ग पढ़ा लिखा और परिवर्तन के क्लियर उम्मीद तलाश रहा है. पार्टी ने इस चुनाव में बिहार में बदलाव के लिए अपनी मुहिम चलाई है और सीधा मुकाबला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बताया है.

सत्ता पाने के लिए सभी पार्टी की अपनी रणनीति है जिसके बलबूते वह इस चुनाव में है. सभी बिहार में बदलाव, सूबे में विकास रोज़गार के मुद्दे के साथ अपने पुराने उम्मीदवार के साथ चुनाव मैदान में है. कोई अपने समुदाय को आगे बढ़ने के लिए जोड़ तोड़ कर रहा है तो कोई स्वयं की कुर्सी के लिए गठजोड़ और गठतोड़ कार रहा है. ऐसे में नई ऊर्जा और नई नीति के साथ प्लुरल्स का यह प्रयोग बदलाव की एक किरण साबित हो सकता है.

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