कोरोना त्रासदी के बीच दुनिया भर में वैक्सीन को ही इससे मुकाबले का कारगर विकल्प माना जा रहा है. हरेक देश की तरफ से ज्यादा से ज्यादा नागरिकों तक वैक्सीन की उपलब्धता को लेकर तमाम तरह के प्रयास और इससे जुड़े कार्यक्रम चल रहे हैं. ऐसे में 17 मई ऐसी शख्सियत को याद करने का भी अवसर है, जिसने दुनिया को पहला टीका दिया.
इंग्लैंड के ग्लोस्टरशायर में 17 मई 1749 को पैदा हुए एडवर्ड जेनर ने टीके की खोज कर चेचक की विभीषिका से जूझ रही मानवता को उबारा था. बताया जाता है कि 1700 से 1800 के बीच यूरोप में छह करोड़ लोगों की चेचक के कारण जान चली गयी.वर्ष 1721 में बोस्टन की आधी आबादी चेचक ग्रस्त थी, जिसमें चेचक के हर दस रोगियों में एक की मृत्यु हो गयी. चेचक संक्रमित वयस्क व्यक्ति में 20 से 60 फीसदी मृत्यु दर थी, जबकि बच्चों में यह 80 फीसदी तक थी.
करोड़ों लोगों की जान लेने वाला चेचक 1979 में दुनिया से खत्म हुआ, जिसमें एडवर्ड जेनर के टीके की खोज ने ही कारगर किरदार निभाया. चेचक के टीके का निशान लोगों की बांह पर अंकित होने के साथ उसे चेचक से हमेशा के लिए सुरक्षित कर दिया गया.
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