Sasaram: ‘मंजिले उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता क्योंकि हौसलों से उड़ान होती है’. यह पंक्तियां सासाराम रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर पढ़ रहे सभी बच्चों पर चरितार्थ होती है. पढ़ने की ललक और सुविधाओं का आभाव इन बच्चों को रेलवे प्लेटफार्म तक ले आया. सासाराम रेलवे स्टेशन का प्लेटफार्म नंबर एक और दो हर सुबह और शाम को 2 घंटों के लिए कोचिंग हब में बदल जाता है. यहां हज़ारों छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं और अपने सपनों को साकार करने की दिशा में निरंतर कदम बढ़ा रहे हैं.
यहां हर सुबह और शाम हजारों छात्र पढ़ने के लिए इकट्ठे होते हैं. इनके जज्बे को सलाम कर भारतीय रेलवे ने भी एक मिसाल पेश की है. दो चार बच्चों से शुरू हुआ यह सिलसिला आज 1200 तक पहुंच गया है. रेलवे की ओर से यहां पर प्लेटफार्म पर पढ़ने वाले बच्चों के लिए आईडेंटिटी कार्ड भी मुहैया कराया गया है. ताकि वह निशुल्क रेलवे परिसर में आ जा सके और पढ़ाई कर सकें.
ऐसे हुई थी शुरुआत
सासाराम जिले के रोहतास में बिजली की कमी छात्रों के लिए परेशानी का सबब बनी थी. साल 2002 में छात्रों के एक समूह ने रेलवे स्टेशन पर कुछ क्विज नाम से प्लेटफार्म पर कोचिंग कम सेल्फ स्टडी सेंटर की शुरुआत की. रेलवे स्टेशन पर बिजली हमेशा उपलब्ध रहती हज. साल 2017 में पटना के रेल पुलिस सुपरिटेंडेंट जितेंद्र मिश्रा ने इन छात्रों के प्रति सहानुभूति जताई और 500 से ज्यादा छात्रों को पहचान पत्र उपलब्ध करा दिया. जिसके बाद हर दिन यहां हज़ारों छात्रों का जमावड़ा लगा रहता है.
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