ज्ञान, शील, एकता ने दिलाई ABVP को जीत, कार्यकर्ताओं में ख़ुशी

ज्ञान, शील, एकता ने दिलाई ABVP को जीत, कार्यकर्ताओं में ख़ुशी

Chhapra( Surabhit Dutt): जयप्रकाश विश्वविद्यालय में पहली बार हुए छात्र संघ चुनाव में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् ने सभी पैनल पर जीत दर्ज की है. अखिल भारतीय विद्यार्थी ने पांचों पैनलों अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव, संयुक्त सचिव और कोषाध्यक्ष पद पर अपना कब्ज़ा जमाया. अध्यक्ष पद पर रजनीकांत सिंह, उपाध्यक्ष पद पर विनय प्रकाश, महासचिव पद पर रंजीत कुमार, संयुक्त सचिव पद पर शशि कुमार पांडेय तथा साहिल राज ने कोषाध्यक्ष पद पर जीत हासिल की है.

परिषद् की जीत में उन लाखों कार्यकर्ताओं का हाथ है जिन्होंने लगातार इसे आगे बढ़ाने में अपना योगदान दिया. यूँ कहे की इसे सींचा है. कार्यकर्ताओं का मानना है कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् अपने अनुशासन और ज्ञान, शील एकता की विशेषता के कारण छात्रों में लोकप्रिय है. कार्यकर्ताओं में समर्पण के भाव ने इस संगठन को छात्र हितों के लिए लड़ने वाला संगठन बनाया है. स्थापना काल से विद्यार्थी परिषद् ने अपनी पहचान बनायीं है.

जय प्रकाश विश्वविद्यालय के स्थापना के बाद पहली बार हुए छात्र संघ चुनाव में मिली जीत के बाद हम ने परिषद् ने पूर्व कार्यकर्ताओं से बातचीत की और जानने का प्रयास किया की इस जीत के क्या मायने है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के पूर्व कार्यकर्त्ता रहे कई लोगों से छपरा टुडे डॉट कॉम के संपादक सुरभित दत्त ने बातचीत की.

राजेंद्र कॉलेज के अंग्रेजी के अवकाश प्राप्त उपाचार्य प्रो. कुमार वीरेश्वर सिन्हा ने बताया कि जय प्रकाश विश्वविद्यालय छात्र संघ के चुनावों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् की अभूतपूर्व जीत से अत्यन्त प्रसन्नता का अनुभव कर रहा हूं. यह प्रसन्नता उसी प्रसन्नता जैसी स्वाभाविक है जो किसी पेंड में फल लगते देख उन सबों को होती है जिन्होंने कभी न कभी उस पेंड को सींचा था. अभाविप से मैं अपने विद्यार्थी जीवन से ही जुड़ा रहा हूं, पहले कार्यकर्ता के रूप में और बाद में तथा आजतक भावनात्मक रूप से. छात्र जीवन के बाद इमर्जेंसी और जय प्रकाश आंदोलन के दौरान मैं शिक्षक कार्यकर्ता के रूप में मोतिहारी का उपाध्यक्ष रहा और फिर पिछली सदी के अस्सी के दशक में लगातार कइ वरसों तक छपरा का अध्यक्ष भी रहा. जिस दौर में मैं छपरा का अध्यक्ष बनाया गया था जातीय वैमनस्य अपने चरम पर हो आया था. लेकिन परिषद् के समर्पित कार्यकर्ता हर बाया को पग पग झेल कर भी परिषद् की एकता को बनाए रखने में कामयाब रहे और ज्ञान, शील और एकता की अलख जगाते रहे और परिषद् की लोकप्रियता दिनानुदिन बढ़ती रही और आज यह आलम है कि अभाविप ने छात्र संघ के पांचों महत्वपूर्ण पदों पर जीत हासिल कर ली है. इस जीत के लिए मैं सभी कार्यकर्ताओं को बधाई देता हूं. बस थको नहीं, रुको नहीं, चलते चलो उस मंजिल को जिसके आगे कोइ रास्ता ही नहीं. वंदे मातरम्.

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के पूर्व कार्यकर्ता व दैनिक राष्ट्रीय सहारा के सारण ब्यूरो प्रमुख वरिष्ठ पत्रकार डॉ विद्याभूषण श्रीवास्तव ने जीत पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि छात्र हित की दृष्टिकोण से एक अनुशासित एवं सशक्त छात्र संगठन के रूप में कार्यरत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद सदैव छात्रों की समस्याओं के समाधान कराने में प्रयत्नशील रहता है. यह जीत इसी का प्रतिफल है. स्थापना के बाद पहली बार हुए छात्र संघ के चुनाव में सभी पांचों पदो पर कब्ज़ा जमा कर यह स्पष्ट रूप में साबित कर दिया है कि उसके कार्यकर्ता आज भी संगठन के प्रति समर्पित रहते है. किसी के बहकावे में नहीं रहते है. अपने शिक्षक का मार्गदर्शन लेकर पढ़ाई के साथ साथ संगठन का कार्य करते है. उन्होंने सभी निर्वाचित पदाधिकारियों को बधाई दी.

भाजपा नेता व परिषद् के कार्यकर्ता रहे शांतनु सिंह ने अभाविप के जीत को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि जयप्रकाश की धरती पर से शुरू हुए आन्दोलन की बाते पुरे देश में है. छात्र संघ के चुनाव को कराने में विवि प्रशासन ने पारदर्शिता दिखाई है. अभाविप ने पूरा पैनल जीत लिया है. लम्बे समय से काम किये सपना देखा था की यहाँ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् छात्र संघ के चुनाव में जीत दर्ज करे. हमारे अनुज जीते है सभी को बधाई.

 

अधिवक्ता व परिषद् के पूर्व कार्यकर्त्ता रहे प्रकाश रंजन निक्कू ने कहा कि कार्यकर्ताओं की मेहनत के बदौलत आज यह परिणाम आया है. विद्यार्थी परिषद् एक दिन नहीं बल्कि सालो भर छात्र हित के लिए लड़ता रहा है. आगे भी लड़ाई जारी रहेगी.

 

बताते चलें कि इस चुनाव में सेंट्रल पैनल के लिये सभी पांचों पदों पर अभाविप का मुकाबला छात्र जदयू-आरएसए गठबंधन के साथ था. सेंट्रल पैनल के मतदान में कुल 40 काउंसिल मेंबर को वोट डालना था. जिसमें 39 प्रतिनिधियों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. अध्यक्ष पद के विजेता रजनीकांत सिंह के पक्ष में 21 मत मिले जबकि छात्र जदयू-आरएसए गठबंधन समर्थित रोहिणी कुमारी को 18 मतों से ही संतोष करना पड़ा.

अध्यक्ष पर पर जीते रजनीकांत सिंह से खास बातचीत यहाँ देखे

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