बिना आत्मबल के कोई कार्य संभव नही: अवधेशानंद जी महाराज

बिना आत्मबल के कोई कार्य संभव नही: अवधेशानंद जी महाराज

Chhapra/Amnour (Neeraj Kumar Sharma): श्रीमद भागवत कथा के दूसरे दिन महामण्डलेश्वर अवधेशानंन्द गिरी महाराज के अमृतवाणी का श्रवण कर श्रोता आत्मविभोर हो गए. अमनौर इंटर कॉलेज के क्रीड़ा मैदान में संत की वाणी से बह रही अध्यात्म गंगा में भक्त गोते लगाते दिखे.

संध्या तीन बजे से शुरू हुए भागवत कथा के प्रारम्भ से ही चारो तरफ का वातावरण शांतिमय बन गया. एकचित होकर सभी श्रोता संत प्रसिद्ध कथावाचक अवधेशानन्द जी महाराज की वाणी का रसपान कर रहे थे. कथा में सत्य, आचरण, अध्यात्म, वैराग्य पर चिंतन को महाराज जी ने सबो के समक्ष रखा.

उन्होंने गलती और क्षमा पर नीति को स्पष्ट रूप से सामने रखते हुए कहा कि हम प्रायः प्रत्येक गलती के बाद क्षमा मांग लेते है. लेकिन तय है कि क्षमा भी वही कर सकता है कि जो सामर्थ्य रखता हो. जिसके पास अपना आत्मबल नही होता वह दूसरे को क्षमा भी नही कर सकता.

धरती पर आतंक के कारणों को सामने रखते हुए उन्होंने कहा कि इसका एक कारण धर्मांतरण है. यही आतंकवाद का कारण भी है. यह कलयुग का प्रभाव है जो व्यक्ति के मति को प्रभावित कर अधर्म के मार्ग के तरफ गति शील करता है.

संसार में व्यक्ति व्यवहार, वाणी आचरण, चिंतन से अपनी पहचान तय करता है. सभी लोग के लिए यह तय करना जरुरी है कि हमने परिवार को समाज का देश को क्या दिया. वही यह तय करना जरूरी है कि हमें घर परिवार, समाज और पूर्वजो से क्या मिला है.

भारत महान संस्कृतियों का देश है. अगर व्यक्ति इन संस्कृतियों से भी प्रेरणा ले ले तो भी बड़े व्यक्तित्व का मालिक बन जायेगा.

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