बिहार की नीतीश सरकार ने अपने बजट में सर्वाधिक बड़ी हिस्सेदारी शिक्षा के लिए तय की है. वित्तीय वर्ष 2021-22 में शिक्षा विभाग का बजट 38035 .93 करोड़ रुपये प्रस्तावित है. इसमें राजस्व मद में 36971.29 करोड़ रुपये एवं पूंजीगत मद में 1064.64 करोड़ रुपये प्रस्तावित किये गये हैं. वित्तीय वर्ष 2021-22 में प्रस्तावित बजट में राज्य सरकार ने कहा है कि वह शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए चरणबद्ध तरीके से विद्यालयों और विश्वविद्यालयों में नियोजन करेगा. सभी रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू कर दी जायेगी.
बजट प्रस्ताव में सरकार ने 2030 तक शत-प्रतिशत साक्षरता का लक्ष्य रखा गया है. बजट अभिभाषण में दावा किया गया कि इसी अवधि तक माध्यमिक शिक्षा सभी के लिए सुलभ करा दी जायेगी. बजट प्रपत्र के मुताबिक डिजिटल बिहार कार्यक्रम के तहत कक्षा छह और इससे ऊपर की कक्षाओं के विद्यार्थियों को कंप्यूटर शिक्षा तथा प्रशिक्षण की व्यवस्था वित्तीय वर्ष 2021-22 में की जायेगी.
– वित्तीय वर्ष 2020-21 में शिक्षा विभाग का प्रस्तावित वार्षिक स्कीम व्यय 21939.03 करोड़ रुपये रखा गया है, जो कुल बजट व्यय का 21.94% है.
– वित्तीय वर्ष 2021-22 में शैक्षणिक सत्र के प्रारंभ में ही पाठ्य पुस्तक एवं पोशाक इत्यादि का प्रबंध कराया जायेगा. पहले इसमें विलंब हो जाता था.
– उच्चतर शिक्षा में महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए इंटर उत्तीर्ण इंटरमीडिएट बालिकाओं की राशि अब 25 हजार रुपये और स्नातक उत्तीर्ण महिलाअों के लिए 50 हजार की गयी है. इसके लिए बजट प्रावधान है.
-विदेश में अध्ययन के लिए बिहार के विद्यार्थियों को डिजिटल काउंसेलिंग की प्रणाली विकसित की जायेगी.
– राज्य सरकार केंद्र की तरफ से पहली बार शुरू किये जा रहे राष्ट्रीय भाषा अनुवाद मिशन से जुड़कर बिहार में काम करेगी.
– बिहार में नये वित्तीय वर्ष में सभी स्कूलों को जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध करा दिया जायेगा.
– भारतीय संविधान में शिक्षा से संबंधित प्रावधान को अनिवार्य तौर पर लागू किया जायेगा.